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Written by Cricket Country Staff
Last Published on - October 5, 2020 4:33 PM IST
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA) को 2018-19 वित्तीय वर्ष में 1.72 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। डीडीसीए की कुल आय 36.93 करोड़ रुपये बताई गई है जबिक बैलेंस शीट के मुताबिक खर्चा 38.66 करोड़ रुपये हुआ है।
डीडीसीए ने यह नुकसान मुख्य तौर पर फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में काम के लिए दिए गए एक विवादित कॉन्ट्रेक्ट के कारण उठाया है जिसकी कीमत 6.25 करोड़ (प्लस जीएसटी) आंकी गई है। डीडीसीए ने कॉन्ट्रेक्टर को पहले ही 1.65 करोड़ रुपये दे दिए हैं लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ है।
डीडीसीए के पूर्व लोकपाल दीपक वर्मा ने फोरेंसिंक ऑडिट को एएसए एंड एसोसिएशन को अगस्त में दिया था। फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुमानित ड्राफ्ट ने पहले फेज की गणना शामिल है। दूसरे फेज की रिपोर्ट बाद में आएगी।
डीडीसीए ने जब फोरेंसिक ऑडिट को काम दिया था जब एएसए एंड एसोसिएशन डीडीसीए के आंतरिक ऑड़िटर थे लेकिन सितंबर में इसने इस्तीफा दे दिया था।
डीडीसीए की शीर्ष परिषद के एक सदस्य ने कहा, “एएसए एंड एसोसिएशन को काम दिया गया था जो गलत था क्योंकि यह साफ तौर पर हितों के टकराव का मुद्दा था। ऑडिट पूरा करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।”
रोचक बात यह है कि इस समय फोरेंसिग ऑडिट रिपोर्ट अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और चार निदेशकों के लिए होने वाले चुनावों से कुछ दिन पहले आई है। डीडीसीए के इन पदों पर चुनाव 17 से 20 अक्टूबर के बीच होने हैं।
पिछले साल डीडीसी ने कोटला स्टेडियम जो अब अरुण जेटली स्टेडियम के नाम से जाना जाता है, में काम के लिए कॉन्ट्रेक्ट दिया था। लेकिन यह कॉन्ट्रेक्त क्रॉस कनेक्शन के कारण विवादों में आ गया। इस कॉन्ट्रेक्ट को जांगीड़ इंटीरियर एंड डेकोर प्राइवेट लिमिटेड और मोबिलिटी सॉल्यूशन लिमिटेड (एमएसएल) को दिया गया था।
लोकपाल ने फोरेंसिक रिपोर्ट को दो भागों में बांटा है- फेज-1 और फेज-2। फेज में एमएसएल के साथ किए गए भुगतान शामिल है जबकि फेज-2 में 2018-19, 2019-20 वित्तीय वर्ष के दो साल के लेन-देन शामिल हैं। फेज-2 की रिपोर्ट अभी आनी है।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कॉन्ट्रेक्ट 10 दिसंबर-2019 को दिया गया था।
एमएसएल ने 6.64 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली के साथ यह कॉन्ट्रेक्ट अपने नाम किया था।
डीडीसीए की शीर्ष परिषद के एक सदस्य ने आईएएनएस को बताया, “ओरिजनल टेंडर 6.64 करोड़ का था, लेकिन एमएसएल से मोलभाव के बाद इसे 6.25 करोड़ का कर दिया गया था, प्लस जीएसटी।”
डीडीसीए के पास इस कॉन्ट्रेक्ट के लिए डीएफआई और एसीपीएल की भी बोली आई थी लेकिन कॉन्ट्रेक्ट कम कीमत के कारण एमएसएल को मिला। ऑडिटर्स साथ ही एसीपीएल, एमएसएल और डीएफआई के बीच संभावित संबंध की भी जांच कर रही है।
रिपोर्ट में डीएफआई में आधिकारिक हस्ताक्षरकर्ता विमल राउतेला हैं और यही विमल एसीपीएल की वित्तीय और प्रशासन संबंधी सूची में हैं।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक एसीपीए और एमएसएल में संबिधिक लेखापरीक्षक एक ही है जो दिल्ली के दरियागंज स्थित केएम अग्रवाल एंड कंपनी है।
अधिकारी ने कहा, “इन बातों को ध्यान में रखते हुए किसी भी लग सकता है कि एसपीएल, एमएसएल और डीएफआई में कुछ संबंध है।”
एमएसएल का जो पता दिया गया है वो फोरेसिंग ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक उस पते पर कोई ऑफिस मौजूद नहीं है। 22 सितंबर 2020 को उस पते पर जाकर पता चला कि वह किसी का निवास स्थान है।
बैंक स्टेटमेंट के मुताबिक डीडीसीए ने एमएसएल को 30 जनवरी से 27 फरवरी के बीच चार किश्तों में 1.65 करोड़ दिए हैं।
एक बात यह है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 जनवरी 2020 को 33.81 लाख का भुगतान एमएसएल की लेजर के मुताबिक किया गया है वो भी चेक के जरिए जो उसी तारीख को रिवर्स हुआ है। बैंक स्टेटमेंट में इस तरह के भुगतान का कोई जिक्र नहीं है।
उसमें कहा गया है, “भुगतान को रोकने के लिए बैंक को आदेश दिया गया था और यह आदेश संजय भारद्वाज द्वारा की गई शिकायत के बाद दिया गया था।”
डीडीसीए ने कॉन्ट्रेक्ट देने से पहले भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण से मंजूरी नहीं ली थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “एएसआई की मंजूरी नहीं ली गई थी। फिरोज शाह कोटला स्टेडियम कोटला फिरोज शाह जो एएसआई द्वारा सुरक्षित किया गया स्थल है, के 100 मीटर के पास स्थित है और इसलिए इसके आस-पास कंस्ट्रक्शन की मंजूरी नहीं है।”
ऑडिट टीम ने जाकर देखा कि क्या एमएसएल ने काम पूरा किया तो पता चला कि कुछ काम हुआ लेकिन पूरा काम नहीं हुआ।
(IANS)
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