Bharat Malhotra
Bharat Malhotra अभी cricketcountry.com/hi की टीम की अगुआई कर रहे हैं. भारत के पास डिजिटल मीडिया का 16 साल का अनुभव है. करियर की विधिवत श ...Read More
Written by Bharat Malhotra
Last Updated on - February 21, 2024 1:01 PM IST
नई दिल्ली: मनोज तिवारी (Manoj Tiwary) लगातार खुलासे कर रहे हैं. बंगाल के इस क्रिकेटर से क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद लगातार आरोल लगा रहे हैं. अभी हाल में ही उन्होंने कहा था कि वह महेंद्र सिंह धोनी से पूछना चाहेंगे कि आखिर सेंचुरी बनाने के बाद भी उन्हें भारतीय टीम से क्यों ड्रॉप किया गया. तिवारी ने अब दावा किया है कि अगर वह कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान गौतम गंभीर के साथ लड़ाई नहीं करते तो उनका बैंक बैलेंस काफी ज्यादा होता.
मनोज तिवारी (Manoj Tiwary) ने घरेलू क्रिकेट में बंगाल के लिए शानदार प्रदर्शन किया है. वह गौतम गंभीर की कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स (Kolkata Knight Riders) के लिए भी खेले थे. तिवारी ने इंडियन प्रीमियर लीग के 2012 सीजन में कोलकाता नाइट राइडर्स का प्रतिनिधित्व किया था. इस सीजन में कोलकाता की टीम चैंपियन बनी थी. तिवारी ने पूरे सीजन में 260 रन बनाए थे. इस बल्लेबाज ने खुलासा किया कि मैदान के बाहर उनकी गौतम गंभीर से बड़ी लड़ाई हुई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि 2014 के सीजन से पहले उन्हें रिलीज कर दिया गया.
आनंदबाजार पत्रिका से बातचीत में तिवारी ने दावा किया कि अगर वह कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के साथ दो-तीन सीजन टिक जाते तो काफी और पैसा कमा लेते.
तिवारी ने कहा, ‘केकेआर के मेरे दिनों के दौरान, ड्रेसिंग रूम में मेरी गंभीर से बड़ी लड़ाई हुई थी. वह कभी सामने नहीं आई. केकेआर 2012 में चैंपियन बनी. उस समय मैंने चौका लगाकर टीम को जिताया था. मुझे केकेआर के लिए एक और सीजन खेलने का मौका मिला. अगर मैंने 2013 में गंभीर से लड़ाई नहीं की होती तो शायद मैं केकेआर के लिए दो-तीन सीजन और खेलता. इसका अर्थ है कि मुझे कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार पैसा मिलता जो बढ़ जाता. बैंक बैलेंस मजबूत होता. लेकिन मैंने उस बारे में कभी नहीं सोचा.’
तिवारी ने दिल्ली कैपिटल्स के अपने दिनों के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने दावा किया कि उनके और टीम के बीच थोड़ी सी गलतफहमी हो गई थी जिसकी वजह से खीझ हो गई.
इस पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने कहा, ‘जब मैं दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेल रहा था तब गैरी किर्स्टन टीम के कोच थे. मैं लगातार देख रहा था कि एक के बाद एक मैच में प्लेइंग इलेवन अच्छा नहीं कर रहा था. कॉम्बिनेशन ठीक नहीं था. योग्य खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल रहा था. कई खिलाड़ी चोट की वजह से बाहर थे. टीम का रिजल्ट अच्छा नहीं था. मैं सीधा उनके पास गया और कहा कि अगर आप मुझे प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दे सकते हैं तो मुझे छोड़ दीजिए. तब मेरा अनुबंध ₹2.8 करोड़ था. मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि वे इसे गलत समझेंगे और मुझे रिलीज कर देंगे. मैंने कभी अपने नुकसान के बारे में नहीं सोचा.’
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