Anoop Dev Singh
अनूप देव सिंह, क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ सहायक संपादक के पद पर कार्यरत हैं।
Written by Anoop Dev Singh
Last Published on - April 27, 2017 8:14 PM IST
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गुरुवार को अपने नए वित्तीय मॉडल की घोषणा कर दी, जिसमें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की आईसीसी की कुल कमाई में हिस्सेदारी में भारी कटौती की गई है। इसके अलावा आईसीसी ने पूर्ण सदस्यता प्राप्त अन्य देशों को अधिक संसाधन आवंटित करने का फैसला भी लिया है। आईसीसी के इस फैसले से बीसीसीआई के रसूख में कमी आई है।
आईसीसी बोर्ड के सदस्यों, मुख्य अधिकारियों की समिति, विकास समिति, लेखा परीक्षा समिति, वित्तीय एवं वाणिज्यिक मामलों की समिति और महिला समिति और मंच की बैठकों के तहत पांच दिनों तक गहन विचार-विमर्श के बाद ये फैसला लिया गया है। आईसीसी के इस नए वित्तीय मॉडल के साथ ही 2014 में पारित प्रस्ताव रद्द हो जाएगा, जिसमें ‘असंगत तरीके से’ बीसीसीआई, क्रिकेट आस्ट्रेलिया (सीए) और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) को अत्यधिक हिस्सेदारी दे दी गई थी।
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेविड रिचर्डसन ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा, “कई अहम मुद्दों पर प्रगति हुई है, खासकर आईसीसी की संरचना में।” उन्होंने कहा, “आईसीसी बोर्ड ने एक कार्य समूह का गठन किया है, जिसने बराबरी, नेकनीयती, व्यावहारिक समझ और सहजता के सिद्धांतों के आधार पर आईसीसी के वित्तीय मॉडल के निर्माण का सुझाव दिया। यह नया मॉडल आईसीसी से जुड़े हर सदस्य को विकास करने और आय अर्जित करने का मौका देगा तथा अधिक पारदर्शिता और सदस्य देशों के बीच अंतरनिर्भरता लाएगा, जिसकी क्रिकेट खेलने वाले देशों के जरूरत भी है। क्रिकेट खेलने वाले देश जितना अधिक से अधिक मजबूत होंगे, क्रिकेट के लिए उतना ही अच्छा होगा।”
आईसीसी के नए मॉडल के तहत मौजूदा राजस्व और लागत के अनुसार, बीसीसीआई को आईसीसी से अगले आठ वर्ष के दौरान 29.3 करोड़ डॉलर मिलेंगे, जबकि ईसीबी को 14.3 करोड़ डॉलर, जिम्बाब्वे क्रिकेट को 9.4 करोड़ डॉलर और शेष सात पूर्ण सदस्य देशों में से प्रत्येक को 13.2 करोड़ डॉलर मिलेंगे। इस नई प्रणाली के तहत सबसे अधिक नुकसान बीसीसीआई का हुआ है। भारतीय बोर्ड को इससे पहले 44 करोड़ डॉलर मिलते थे। यह पुरानी प्रणाली क्रिकेट जगत की तीन बड़ी ताकतों भारत, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की समर्थक थी। इसके अलावा, इस नई प्रणाली के तहत ईसीबी और क्रिकेट आस्ट्रेलिया की भी हिस्सेदारी कम हुई है, लेकिन यह मामूली कमी है। ये भी पढ़ें-आईसीसी की बैठक में बीसीसीआई की करारी हार
आईसीसी के एसोसिएट सदस्य देशों को 28 करोड़ डॉलर मिलेगा। आईसीसी का यह नया मॉडल 26 अप्रैल को एक वोट के मुकाबले 13 वोटों के अंतर से पारित हुआ। इसके अलावा आईसीसी की पूर्ण परिषद की अगली बैठक में नया संविधान पेश किए जाने पर भी सहमति बनी है। आईसीसी के संशोधित संविधान को दो के मुकाबले 12 वोटों के अंतर से पारित किया गया। अब यह नया संविधान जून में होने वाली आईसीसी की पूर्ण परिषद की बैठक में अंगीकार किए जाने के लिए जून में पेश किया जाएगा।
आईसीसी ने जारी बयान में कहा है, “इस संशोधित संविधान में सुशासन को तरजीह दी गई है, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नेतृत्व प्रदान करने में आईसीसी का भूमिका और उसके कार्यो को स्पष्ट किया गया है।” आईसीसी के चेयरमैन शशांक मनोहर ने आईसीसी में हुए इन नए बदलावों की सराहना की है और कहा है कि इससे क्रिकेट का खेल और मजबूत होगा।
मनोहर ने कहा, “विश्व क्रिकेट की प्रगति की राह में यह एक अहम कदम है और वार्षिक कॉन्फ्रेंस में इसे अंतिम स्वरूप प्रदान करने की मेरी योजना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम संशोधित वित्तीय मॉडल शासकीय संरचना के जरिए भविष्य में विश्व स्तर पर क्रिकेट की प्रगति और सुधार के लिए आधार प्रदान कर सकते हैं।” इसके अलावा, आईसीसी ने कई अन्य फैसले भी किए हैं। इसमें आईसीसी ने मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की समिति के साथ की गई चर्चा के तहत अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय क्रिकेट के लिए अधिक प्रयास की योजना बनाई है। आईसीसी बोर्ड खेल के सभी तीन प्रारूपों के लिए एक स्पष्ट ढांचा तैयार करने के क्रम में वर्तमान कैलेंडर में सुधार चाहता है।
इन फैसलों में पाकिस्तान के लिए भी एक अच्छी खबर है। आईसीसी पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली के लिए रास्ते तलाश रही है। इसके अलावा, आईसीसी ने अपनी घोषणा में कहा कि इस साल होने वाली महिला चैम्पियनशिप में हिस्सा ले रही एकदिवसीय रैंकिंग में शीर्ष आठ टीमों को एक-दूसरे के साथ तीन एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेलना जरूरी है। इसके साथ ही दो देशों की महिला टीमों के बीच खेली जाने वाली द्विपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखला में डीआरएस प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता हैस अगर बोर्ड के सदस्यों की इच्छा हो तो।
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