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कोच चंद्रकांत पंडित बोले-विदर्भ के खिलाड़ियों ने फाइनल में दिखाया जज्बा

विदर्भ ने पिछले साल दिल्ली के खिलाफ पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब हासिल किया था

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Published on - February 7, 2019 5:41 PM IST

विदर्भ क्रिकेट टीम के कोच चंद्रकांत पंडित को अपने खिलाड़ियों पर गर्व है जिन्होंने लगातार दूसरा रणजी ट्रॉफी खिताब हासिल करने के दौरान प्रतिद्वंद्वियों को दबाव में डालने से पहले खुद भी दबाव का डटकर सामना किया।

देश के सर्वश्रेष्ठ घरेलू कोचों में शुमार पंडित ने अपने रणनीतिक कौशल और अनुशासन के बूते विदर्भ को लगातार दूसरा खिताब दिलाया।

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विदर्भ ने पिछले साल दिल्ली के खिलाफ पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब हासिल किया था और कई इसे ‘तुक्का’ मान रहे थे। पंडित ने भी सौराष्ट्र के खिलाफ स्वीकार किया था कि लक्ष्य यह साबित करना था कि 2017-18 का खिताब तुक्का नहीं था।

पंडित ने फाइनल के बाद कहा, ‘हां, दबाव था कि हम उस ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन कर पाएंगे या नहीं और हमने उस प्रदर्शन को बरकरार रखने की प्रक्रिया अपनाई। मैं इस प्रक्रिया की व्याख्या नहीं करूंगा लेकिन हमने क्रिकेट बेसिक्स पर काम किया।’

‘तब लोगों ने मजाक उड़ाया था’

चंद्रकांत पंडित ने कहा कि उन्हें और उनके खिलाड़ियों को साबित करना था ताकि अपने प्रदर्शन से आलोचकों को जवाब दे सकें।

पंडित ने कहा, ‘जब इस टीम ने एकजुट प्रदर्शन किया था तो लोगों ने मजाक उड़ाया था लेकिन अगर ऑस्ट्रेलिया ऐसा करता तो वे इसे एकजुटता कहते हैं। यह एक प्रक्रिया थी और विचारों को बदलने के लिए यह अहम था।’

उन्होंने कहा कि वीसीए ने उन्हें पूरी छूट दी थी और वे सभी उनके कड़े तरीकों से वाकिफ थे। पंडित ने कहा कि उन्हें कभी-कभी शानदार प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों को अंतिम एकादश से बाहर भी करना पड़ा ताकि टीम में स्वस्थ स्पर्धा बनी रहे।

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उन्होंने कहा, ‘कोच और खिलाड़ियों के बीच अच्छा तालमेल है। तीन तरह के खिलाड़ी होते हैं, एक जो खेलते हुए खुश हैं, दूसरे जो टीम में रहकर ही खुश हैं और तीसरे जो क्रिकेट में सुधार से खुश थे।’

पंडित ने कहा, ‘हमें उनके सोचने के इस तरीके को बदलना था और यह आसान नहीं है। इसके लिए आपको संस्कृति को समझना होता।’ वर्ष 1934 के बाद से शुरू हुए रणजी टूर्नामेंट के बाद से विदर्भ से पहले केवल पांच टीमें ऐसी हैं जो लगातार ट्रॉफी जीतने की उपलब्धि हासिल कर पाई हैं।

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(इनपुट-भाषा)