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अपने नहीं बल्कि इस खिलाड़ी के बल्ले से रिंकू ने लगाए लगातार 5 सिक्स, केकेआर के प्लेयर ने कहा- मैं तो देना नहीं चाहता था

रिंकू सिंह ने जिस बल्ले से लगातार पांच छक्के लगाए वह उनका बैट नहीं था. रिंकू ने आखिर किसके बैट से किया था चमत्कार. अब इस खिलाड़ी का कहना है कि यह बल्ला तो अब रिंकू का ही हो गया.

user-circle cricketcountry.com Written by Bharat Malhotra
Last Published on - April 10, 2023 11:00 AM IST

रिंकू सिंह ने रविवार को बेहतरीन बल्लेबाजी की. आखिरी 5 गेंद पर कोलकाता नाइट राइडर्स को गुजरात टाइटंस के खिलाफ 28 रन चाहिए थे. और बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने लगातार पांच छक्के लगाकर अपनी टीम को जीत दिला दी. उन्होंने यश दयाल के ओवर में यह धमाल किया. इसके बाद रिंकू और यश दयाल तो चर्चा में हैं. और इस बल्लेबाज के साथ-साथ उस बल्ले की भी बात हो रही है जिससे रिंकू ने यह चमत्कार किया.

रिंकू सिंह ने जिस बैट से इतिहास रचा वह वास्तव में उनका था ही नहीं. जी, यह बैट रिंकू का नहीं बल्कि उनकी टीम के कप्तान नीतीश राणा का था. इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं खुद राणा ने किया है. केकेआर ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें राणा ने इस बात की जानकारी दी है कि वह रिंकू को यह बैट देना नहीं चाहते थे.

इस वीडियो में राणा कहते हैं- ‘यह मेरा मैच बैट था. पहले दोनों मैच मैं इस बैट से खेला हूं. पूरा टी20 सैयद मुश्ताक इससे खेला हूं. पिछले साल (आईपीएल) आखिरी के चार या पांच मैच इस बैट से खेला हूं. आज मैंने बैट चेंज किया. रिंकू ने मुझसे बैट मांगा.’ नीतीश ने आगे मुस्कुराते हुए कहा- ‘मैं देना नहीं चाहता था. लेकिन अंदर से कोई लेकर आया यह वाला बैट. और मुझे लग रहा था कि वह यह वाला बैट चुनेगा क्योंकि इसका पिक-अप बहुत अच्छा है और यह मेरे वजन के हिसाब से थोड़ा हल्का है. और अब रिंकू का ही है ये. मेरा नहीं है अब. ले लिया उसने मुझसे.’

मैच की बात करें तो रिंकू सिंह ने जिन आखिरी सात गेंदों का सामना किया उन पर उन्होंने छह छक्के और एक चौका जड़ा. यश दयाल के ओवर में पांच छक्के लगाने से पहले एलिस के ओवर की आखिरी दो गेंदों पर रिंकू ने एक छक्का और एक चौका लगाया था. उत्तर प्रदेश के इस बल्लेबाज ने जो किया उसने शाहरुख खान तक को उनका दीवाना बना दिया.

बहुत संघर्ष भरी है रिंकू सिंह की कहानी

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्में रिंकू सिंह का जन्म काफी गरीब परिवार में हुआ था. गैस सिलेंडर डिलिवरी का काम करते पिता की चाहत थी कि बेटा पढ़ लिखकर अपनी जिंदगी में बेहतर करे. लेकिन रिंकू का ध्यान क्रिकेट में लगता था. क्रिकेट खेलने को लेकर कई बार उनकी पिता से पिटाई भी हुई थी. रिंकू नौवीं में फेल भी हो गए थे.

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रिंकू को परिवार को पैसों की जरूरत थी.रिंकू सिंह ने अपने साथियों से बात की. रिंकू ने इसके बाद कोचिंग सेंटर में पोंछा लगाने की नौकरी की. हालांकि यहां उनका मन नहीं लगा और उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और क्रिकेट के अपने सपनों को पूरा करने में जुट गए. 16 साल की उम्र में उन्होंने 5 मार्च 2014 को यूपी के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में अपना डेब्यू किया, उस मैच में उन्होंने 87 गेंदों में 83 रन बनाए थे. इसी साल वह सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए चुने गए और यहां से उनके क्रिकेट के सफर का आगाज हुआ.