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सचिन ने पिछले तीन साल में राज्यसभा में पूछा पहला सवाल

सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला सवाल रेलवे मंत्रालय से लिखित रूप से किया

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Updated on - December 7, 2015 10:41 AM IST

सचिन तेंदुलकर को साल 2012 में राज्यसभा का सांसद नियुक्त किया गया था © Getty Images
सचिन तेंदुलकर को साल 2012 में राज्यसभा का सांसद नियुक्त किया गया था © Getty Images

नई दिल्ली। पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जो राज्यसभा के सांसद भी हैं उन्होंने हाल ही में भारत के उच्च सदन राज्यसभा में सवाल किया। सचिन का यह पिछले तीन सालों में पहला सवाल है। सचिन को साल 2012 में राज्यसभा का सांसद नियुक्त किया गया था और उन्हें सूचना प्रोद्योगिकी विभाग की समिति में सम्मिलित किया गया था। पहली बार सदन में सक्रियता दिखाते हुए सचिन ने रेलवे मंत्रालय से लिखित सवाल किया। जिसके जवाब में मंत्रालय के मनोज सिन्हा ने भी उन्हें लिखित जवाब दिया। इसके अलावा उन्होंने रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री से भी लिखित सवाल किया है जिसमें उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस के जारी करने को लेकर प्रक्रिया में बदलाव करने को कहा है। मंत्रालय ने इसका जवाब सोमवार को देने को कहा है। इसके अलावा सचिन ने उपनगरीय रेलवे को एक अलग विभाग बनाने की भी बात कही है।

सचिन ने अपने सवाल में लिखा है, ‘क्या रेलवे के मंत्री कोलकाता रेलवे के लिए नए जोन बनाने के पीछे तर्क बताएंगे और क्या यही मॉडल अन्य शहरों जैसे की मुंबई, चेन्नई और दिल्ली में भी लागू किया जा सकता है जिनमें कोलकाता जैसी ही उपनगरीय रेलवे सुविधाएं हैं। क्या इन शहरों के मानदंड इस तरह से हैं ताकि उपनगरीय रेलवे सिस्टम को अलग जोन बनाया जा सके?

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रेलवे मंत्रालय ने सचिन के सलाव का जवाब देते हुए लिखा कि कोलकाता मेट्रो भारतीय रेलवे के अंतर्गत एक स्वतंत्र निकाय है जो सिर्फ मेट्रो रेलवे संबंधी मामले देखती है। उन्होंने आगे बताया, ‘इन बातों को ध्यान में रखते हुए कोलकाता में जोनल रेलवे स्टेटस मेट्रो रेलवे को दिया गया। यह भारतीय रेलवे सिस्टम अन्य शहरों में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई में लागू है जहां उपनगरीय रेलवे ट्रेफिक मेनलाइन ट्रेफिक के साथ चलता है।’ सचिन राज्यसभा सांसद हैं जिन्हें भारत के राष्ट्रपति ने नियुक्त किया था। उनका किसी भी राजनैतिक पार्टी से प्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। पिछले दिनों उनके सदन में उपस्थित ना होने को लेकर निंदा भी हुई थी।