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BCCI ने भी माना- सचिन, गांगुली और लक्ष्मण को किया जा रहा है जानबूझ कर तंग
बीसीसीआई के लोकपाल ने हितों के टकराव के मामले में सौरव गांगुली के बाद अब सचिन-लक्ष्मण को भी नोटिस जारी किया है।
Written by Indo-Asian News Service
Last Published on - April 25, 2019 8:59 PM IST

बीसीसीआई के लोकपाल डी.के. जैन ने पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण को बुधवार को नोटिस भेजा है। दोनों खिलाड़ियों पर आरोप है कि वो बोर्ड की सलाहकार समिति (सीएसी) का सदस्य रहते हुए आईपीएल टीमों के साथ जुड़े हुए हैं। ऐसे में उनसे सफाई मांगी गई है। इससे हालांकि बीसीसीआई के आला अधिकारी खुश नहीं हैं।
लोकपाल ने यह नोटिस मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के अजीवन सदस्य संजीव गुप्ता के उस आरोप के बाद दिया है, जिसमें उन्होंने सचिन और लक्ष्मण पर बीसीसीआई के संविधान के नियम 38 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
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बीसीसीआई के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि सचिन, सौरभ गांगुली और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है और इसलिए यह इस बात को दर्शाता है कि बोर्ड के नए संविधान में शामिल हितों के टकराव के नियम को दोबारा देखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “यह मामले बताते हैं कि बीसीसीआई के संविधान में हितों के टकराव को लेकर किस तरह की गड़बड़ी है। जब एक निश्चित व्यक्ति को निशाना बनाया गया तब किसी को परेशानी नहीं हुई। तब ऐसा प्रतित हो रहा था कि मानो बाकी की दुनिया से कोई ताल्लुक नहीं है क्योंकि यह एक तय समूह का ध्यान रख रहा था। अब आपके पास वही नियम हैं जो अगर लागू किए जाते हैं तो सचिन जैसे महान बल्लेबाज और लक्ष्मण युवा खिलाड़ियों को निखराने से वंचित रह सकते हैं। साथ ही भारतीय क्रिकेट को कई तरह से सेवा देने से रोक सकते हैं।”
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उन्होंने कहा, “उलझन यह है कि सचिन को इसका भुगतान करना होगा। सीओए ने उनकी सेवाओं का अभी तक अच्छे से इस्तेमाल नहीं किया है और जिस समिति का वो हिस्सा हैं उसमें सचिन की सलाह को भी नजर अंदाज किया है क्योंकि जिस समिति के वो सदस्य हैं उसकी कार्यप्रणाली को लेकर पहले से ही सवालिया निशान हैं। जब आप सचिन, लक्ष्मण और सौरव जैसे खिलाड़ियों को रोकते हैं तो इससे भारतीय क्रिकेट का नुकसान करते हैं।”
बोर्ड के एक अन्य अधिकारी ने बात पर सहमति जताते हुए कहा, “ऐसा नहीं है कि जो लोग कार्यरत हैं और जिनका हितों का टकराव जाहिर नहीं है वो लोगों को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं। आप प्रशिक्षकों और ट्रेनरों की नियुक्ति को देख लीजिए। एक पारदर्शी सिस्टम के न होने से एड-हॉक के तौर पर जो नियुक्तियां की गई हैं उनके बारे में कुछ कहा ही नहीं जा सकता। जीएम की नियुक्ति भी चोरी-छुपे और विवादों में की गई, यह भी एक मुद्दा है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय टीम का जो ट्रेनर है वो अपने परिवार के ट्रेनिंग संसधान से जुड़ा हुआ है और वह ट्रेनरों की भर्ती के मामले में अहम रोल निभाता है। सचिन, सौरव और लक्ष्मण को बेवजह निशाना बनाया गया है ताकि वह पूरा भार झेलें।”
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इससे पहले जैन ने दिल्ली के सलाहाकर सौरव से मुलाकात की थी क्योंकि उनके खिलाफ भी हितों के टकराव को लेकर शिकायतें आई थीं। साढ़े तीन घंटे की बैठक के बाद जैन ने सभी पक्षों से लिखित में जवाब भी मांगा था।