Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - October 12, 2016 2:31 PM IST
हाल ही में केएल राहुल कानपुर टेस्ट में चोटिल हो गए थे। जिसके बाद आनन- फानन में गौतम गंभीर ने टीम मे वापसी की थी। लेकिन इसके बावजूद उन्हें दूसरे टेस्ट मैच के लिए टीम में शामिल नहीं किया गया। लेकिन, तकदीर ने एक और खेल खेला और अगले टेस्ट में दूसरे ओपनिंग बल्लेबाज शिखर धवन भी चोटिल हो गए। अंततः, गंभीर को तीसरे टेस्ट में बतौर ओपनर टीम में शामिल किया गया। भले ही 34 साल के गौतम गंभीर ने वापसी के बाद पहले टेस्ट मैचों में रनों का अंबार न लगाया हो लेकिन ये तो निश्चित है कि उन्होंने दोनों पारियो में 29 और 50 रन बनाकर अपनी बल्लेबाजी की गहराई से क्रिकेट से सभी पंडितो को रूबरू करवा दिया। गंभीर दोनों पारियों में ही बल्लेबाजी के दौरान एक आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करते नजर आए। पहली पारी में जहां उन्होंने 29 रन बनाने केलिए 3 चौकों और 2 गगनचुंबी छक्कों की मदद ली थी। वहीं दूसरी पारी में उन्होंने 50 रन 56 गेंदों में ही 6 चौकों की सहायता से पूरे किए। चूंकि, भारतीय टीम को अभी इस सीजन में दो बड़ी टीमों के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी है। अगर टेस्ट में नंबर एक पोजीशन बरकरार रखनी है तो टीम इंडिया को बतौर ओपनर गौतम गंभीर का दामन पकड़ना ही होगा। हम आपको 5 कारण बताते हैं जो गौतम गंभीर की टीम में जरूरत को दर्शाएंगे। [ये भी पढ़ें: भारतीय टीम के न्यूजीलैंड पर 3-0 से सीरीज जीतने के 5 अहम कारण]
1. शिखर धवन और केएल राहुल की चोट: न्यूजीलैंड सीरीज में भारत के दो ओपनर शिखर धवन और केएल राहुल चोटिल हो गए। इसके बाद ही गौतम गंभीर को टीम में जगह दी गई। गौर करने वाली बात है कि धवन आजकल अच्छे फॉर्म में हैं। वहीं गौतम गंभीर लगातार रनों का अंबार लगा रहे हैं। हाल ही में संपन्न हुई दिलीप ट्रॉफी में गंभीर ने 72 से ज्यादा के औसत से 356 रन बनाए थे। वहीं जिस तरह की इंदौर टेस्ट में बल्लेबाजी की है उसने ये साफ कर दिया है कि वह बतौर ओपनर अपनी भूमिका निभाने के लिए फिर से तैयार हैं। जाहिर है कि टीम इंडिया को शीर्ष क्रम पर एक ऐसे खिलाड़ी की जरूरत है जो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सके और टीम को अच्छी शुरुआत दिला सके। कोलकाता टेस्ट में भारत ने अपने 46 रनों पर 3 विकेट गंवा दिए थे। ऐसे में पुजारा और रहाणे ने पारी संभाली थी। पूरी टेस्ट सीरीज में ही भारतीय टीम की शीर्ष क्रम लड़खड़ाता नजर आया। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के खिलाफ ये गलतियां टीम इंडिया को खतरे में डाल सकती हैं। जाहिर है कि ऐसे में टीम इंडिया को गौतम गंभीर पर भरोसा दिखाने की जरूरत है। [ये भी पढ़ें: भारत बनाम न्यूजीलैंड: सीरीज में भारतीय टीम के जांबाजों के प्रदर्शन का आंकलन]
2. मुरली विजय का लगातार रन न बना पाना: जबसे गौतम गंभीर और उनके पार्टनर वीरेंद्र सहवाग की टेस्ट टीम से छुट्टी हुई उसके बाद से मुरली विजय ने अपने आपको एक विशेषज्ञ टेस्ट ओपनर के रूप में स्थापित करने के लिए अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन पिछले 12 महीनों में उनके प्रदर्शन में निरंतरता का भारी आभाव नजर आया है। विजय ने जरूर कानपुर टेस्ट में अर्धशतक जमाया था। लेकिन अगली 4 पारियों में वह सिर्फ 45 रन जोड़ने में कामयाब हो पाए। साल 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में भी विजय जूझते ही नजर आए थे और एक भी अर्धशतक नहीं जमा पाए थे। हालांकि, उनके अनिरंतरता के कारण टीम से बाहर तो नहीं निकाला जा सकता। लेकिन गंभीर को बैक- अप ओपनर के तौर पर जरूर रखा जा सकता है। ताकि विजय की खराब फॉर्म के दौरान केएल राहुल की जगह गंभीर को अजमाया जा सके।
3. कोचिंग स्टाफ को गौतम पर है पूरा भरोसा: कानपुर टेस्ट में जब केएल राहुल चोटिल हो गए तो टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले ही थे जिन्होंने गंभीर को टीम में वापस लाने को कहा था। यही नहीं जब तीसरे टेस्ट में इस बात की पुष्टि हो गई कि गंभीर ओपनिंग करेंगे तो बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ ने उनकी जमकर तारीफ की थी। बांगड़ ने कहा था कि गंभीर एक क्वालिटी खिलाड़ी हैं और उनका इस बाकी बचे सीजन में भारतीय टीम की ओर से एक अभिन्न रोल रहने वाला है। जिस तरह से टीम के कोच गंभीर पर भरोसा जता रहे हैं उससे तो ये साफ है कि वह आने वाली सीरीजों में भारतीय टीम में नजर आएंगे।
4. जबरदस्त फॉर्म में हैं गौतम गंभीर: गौतम गंभीर को केएल राहुल की जगह शामिल की जाने की वजह उनकी हाल ही में घरेलू क्रिकेट में शानदार फॉर्म है। दिलीप ट्रॉफी में इंडिया ब्लू की ओर खेलते हुए गंभीर ने जबरदस्त बल्लेबाजी का मुजाहिरा पेश किया था और 72 के ऊपर की औसत से 256 रन बना डाले थे। इस दौरान उन्होंने 77, 90, 59, 94 और 36 रनों की पारियां खेली थीं। और अपनी टीम इंडिया ब्लू को टूर्नामेंट में विजयी बनाया था। इस सीरीज में पहली बार दो नए प्रयोग डे- नाइट टेस्ट और गुलाबी गेंद किए गए थे। इस सीरीज में गंभीर के अलावा, इक्का-दुक्का बल्लेबाज ही थे जो पिंक गेंद के सामने सहज नजर आए थे। इसके पहले आईपीएल 2016 में भी गंभीर ने जबरदस्त बल्लेबाजी का मुजाहिरा पेश किया था और अपनी टीम केकेआर की ओर से सर्वाधिक रन बनाए थे। लगता है कि गंभीर ने अपना खोया हुआ टच फिर से प्राप्त कर लिया है। ऐसे में उनका टीम इंडिया का पर्मानेंट मेंबर बनने में कोई दो राय नहीं है।
5. निभा सकते हैं टीम में मेंटर की भूमिका: वर्तमान में टीम इंडिया में जितने भी खिलाड़ी हैं वे पिछले कुछ सालों में ही टीम से जुड़े हैं। वहीं गंभीर पिछले 12 सालों से क्रिकेट खेल रहे हैं और वह टीम में सबसे सीनियर खिलाड़ी हैं। गंभीर ने अपने टेस्ट करियर में अब तक 57 मैचों में 4,000 से ज्यादा रन बनाए हैं जिनमें 9 शतक और 22 अर्धशतक शामिल हैं। वह टीम इंडिया के लिए कई मौकों पर मैच जिताऊ पारी खेल चुके हैं। साथ ही वह घरेलू और बाहरी पिचों दोनों में सफल रहे हैं। जाहिर है कि नए खिलाड़ियों क गौतम से कई बातें सीखने को मिलेंगी। जिससे टीम इंडिया और अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी।
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