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हरभजन सिंह की फिरकी ने तोड़ा था स्टीव वॉ की कंगारू सेना का 'घमंड'

भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह आज आपना 38वां जन्मदिन मना रहे हैं।

user-circle cricketcountry.com Written by Gunjan Tripathi
Last Published on - July 3, 2018 11:50 AM IST

भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल स्पिनरों में से एक हरभजन सिंह आज आपना 38वां जन्मदिन मना रहे हैं। टीम इंडिया में टरबनेटर नाम से मशहूर हरभजन ने साल 1998 में अपना डेब्यू टेस्ट मैच खेला था लेकिन हरभजन को असली पहचान साल 2001 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज से मिली। भज्जी ने तीन मैचों की इस सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे और सीरीज से सबसे सफल गेंदबाज बने थे। दोनों टीमों में से और कोई गेंदबाज 20 विकेट भी नहीं ले पाया था।

स्टीव वॉ की कप्तानी में भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया टीम ने मुंबई में खेले पहले टेस्ट मैच में 10 विकेट से शानदार जीत हासिल कर सीरीज में बढ़त बना ली थी। ग्लेन मैग्रा, शेन वार्न के सामने भारतीय बल्लेबाजी क्रम पूरी तरह बिखर गया था, वहीं टीम इंडिया के गेंदबाज मैथ्यू हेडन और एडम गिलक्रिस्ट की तूफानी पारी को रोकने में नाकाम रहे। इस सब के बीच हरभजन ने शानदार गेंदबाजी करते हुए चार विकेट लिए, जिसमें रिकी पॉन्टिंग, जस्टिन लैंगर, मार्क वॉ और शतक बनाने वाले एडम गिलक्रिस्ट शामिल थे।

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कोलकाता में खेले गए दूसरे मैच में हरभजन की घातक गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की एक भी नहीं चली। हरभजन ने पहली पारी में 7 विकेट झटके और एक बार फिर पॉन्टिंग को अपना शिकार बनाया। हरभजन के सात विकेट हॉल की बदौलत ऑस्ट्रेलिया टीम 445 पर ऑल आउट हो गई। हालांकि भारतीय टीम की पहली पारी भी 171 पर सिमट गई। स्टीव वॉ ने भारत को फॉलोऑन पारी खेलने का मौका दिया और फिर वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ ने खेल का रुख बदल दिया। लक्ष्मण-द्रविड़ ने पांचवें विकेट के लिए 376 रनों की साझेदारी बनाई और ऑस्ट्रेलिया के सामने 384 का लक्ष्य रखा। दूसरी पारी में भी हरभजन ने फिरकी का कमाल दिखाया और 6 विकेट लेकर कंगारू टीम को 212 रन पर समेट दिया। टीम इंडिया ने ये मैट 171 रनों से जीता।

सीरीज में 1-1 से बराबरी करने के बाद दोनों टीमें निर्णायक मैच के लिए चेन्नई पहुंची। जहां मैथ्यू हेडन ने धमाकेदार दोहरा शतक जड़ा लेकिन हरभजन ने दूसरे छोर से बाकी बल्लेबाजों को एक-एक कर पवेलियन भेज किया। हरभजन ने इस सीरीज में दूसरी बार सात विकेट हॉल लिया, जिसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया 391 पर ऑल आउट हो गई। भारतीय टीम ने सचिन तेंदुलकर के शतक की मदद से पहली पारी में 501 का स्कोर खड़ा किया। हरभजन ने दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया टीम को 264 पर समेटा और अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ते हुए आठ विकेट झटके। लक्ष्मण के अर्धशतक की मदद से टीम इंडिया 155 रनों का लक्ष्य हासिल कर 2 विकेट से जीत दर्ज कर सीरीज अपने नाम की।

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ये सीरीज हरभजन के करियर के सबसे बेहतरीन सीरीज रही है। इस दौरान उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। 21 साल के इस स्पिन गेंदबाज को हल्के में लेना दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई टीम को बहुत भारी पड़ा। इस सीरीज के बाद से ही हरभजन और ऑस्ट्रेलिया टीम के बीच एक खास दुश्मनी की शुरुआत हुई।