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बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी: जब मैदान पर भिड़े भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1996 से बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी खेली जा रही है।

user-circle cricketcountry.com Written by Gunjan Tripathi
Last Published on - March 9, 2017 6:43 PM IST

भारत और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कई बार मैदान पर भिड़े हैं © Getty Images
भारत और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कई बार मैदान पर भिड़े हैं © Getty Images

क्रिकेट और कॉन्ट्रोवर्सी ये दो शब्द एक साथ सबसे ज्यादा एशेज सीरीज या भारतपाकिस्तान मैच के दौरान सुनने को मिलते हैं। हालांकि अब यह वाक्य कुछ बदलता नजर आ रहा है। साल 1996 से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत हुई। दोनों टीमों के बीच चार टेस्ट मैचों की यह सीरीज रोमांचक और विवादास्पद रही है। बैंगलौर में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए दूसरे टेस्ट के दौरान भी ऐसे कई पल देखने को मिले। आईसीसी टेस्ट रैंकिग में शीर्ष दो टीमों के बीच का यह कड़ा मुकाबला था। दोनों ही टीमों ने मैच के आखिरी दिन तक पूरे जोश के साथ खेली हालांकि नतीजा भारत के पक्ष में गया। टीम इंडिया ने सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली।

इस मैच में एक ऐसा विवाद हुआ जिसके बाद यह टेस्ट हमेशा ही लोगों के जहन में ताजा रहेगा। मैच के आखिरी दिन विराट कोहली और कप्तान स्टीवन स्मिथ के बीच ‘डीआरएस गेट’ विवाद हुआ जिसने खेल की सारी लाइमलाइट अपनी तरफ कर ली। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली बॉर्डर गावस्कर के इतिहास में और भी कई सारे विवाद हुए हैं। आज हम आपकों इतिहास में पीछे ले जाएंगे और बताएंगे 1996 से अब तक इस सीरीज में हुए सभी विवादों के बारे में। [ये भी पढ़ें: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, दूसरा टेस्ट(हाईलाइट्स): बैंगलौर टेस्ट में जीत हासिल कर सीरीज में बराबरी पर आया भारत]

सचिन तेंदुलकर, 1990-00: 1996-67 और 1997-78 में हुई बॉर्डर गावस्कर की पहली दो सीरीज भारत ने जीती थी। दोनों ही सीरीज भारत में खेली गई थी। स्टीव वॉ की टीम को उनके ही घरेलू मैदान हराना मुश्किल चुनौती। एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट में टीम इंडिया 396 के लक्ष्य का पीछा कर रही थी। कप्तान सचिन तेंदुलकर जब बल्लेबाजी करने आए तब भारत का स्कोर 24/3 था। ग्लेन मैग्रा की शॉट गेंद पर सचिन नीचे झुके लेकिन गेंद काफी नीची थी और सचिन के कंधे में आकर लगी। ऑस्ट्रलियन खिलाड़ियों ने अपील की और अंपायर डॉरिल हापर ने अपनी उंगली उठा दी। भारतीय प्रशंसकों ने इसका विरोध किया। हालांकि हापर आज भी अपने फैसले को सही मानते हैं। इस घटना के दस साल बाद ईएसपीएन को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “उस मैच की वीडियो क्लिप अब भी मेरे लैपटॉप पर है, आप उसे देख सकते हैं वह आउट ही था। मुझे जो बात पंसद नहीं आई वह यह थी कि जब मैं मैदान से बाहर गया तो कई दोस्तों ने निराशा जताई। उन्होंने कहा, “हम सचिन को बल्लेबाजी करते देखने आए थे, तुम्हें अंपायरिंग करते देखने नहीं।” मैंने जवाब दिया कि मैं बस अपना काम कर रहा था। सुनील गावस्कर उस समय कमेंट्री बॉक्स में थे और उन्होंने कहा था कि यह पगबाधा आउट होता अगर स्टंप छह इंच लंबे होते। भारत ने वह सीरीज 0-3 से हारी थी।

सौरव गांगुली बनाम स्टीव वॉ: साल 2000-01 की ऐतिहासिक सीरीज को आज भी गांगुली-वॉ के विवाद के कारण याद दिया जाता है। सौरव गांगुली ने स्टीव को बार-बार हर मैच में टॉस के लिए खूब इंतजार करवाया। स्टीव वॉ ने अपनी आत्मकथा ‘आउट ऑफ माई कम्फर्ट जोन’ में भी इसका जिक्र किया था कि गांगुली उस दौरे पर सात बार टॉस के लिए देरी से आए थे। [ये भी पढ़ें: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया: बैंगलौर टेस्ट में मेहमान और मेजबान टीम का रिपोर्टकार्ड]

गांगुली ने यह दर्शाया था कि वह ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों की तरह व्यवहार कर रहे थे। वह उस दौरे पर विपक्षी खिलाड़ियों के तौर-तरीकों से प्रभावित नहीं थे और उन्हें उन्ही के तरीके से सबक सिखाने के लिए दादा ने यह तरीका अपनाया था। गांगुली ने एक बंगाली टीवी कार्यक्रम में दादागिरी दिखाते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें देर इसलिए होती थी क्योकि उनका ब्लेजर नहीं मिल रहा था। इस सीरीज के पांच साल बाद हिंदुस्तान समिट में गांगुली ने कहा था कि, “तब 2003 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर स्टीव ने कहा था कि अब से टॉस के लिए वक्त पर आते हैं तो मैंने जवाब दिया कि अगर आप सही व्यवहार करोगे तो मैं भी करूंगा।”

मिचेल स्लेटर ने राहुल द्रविड़ का कैच लेने का दावा किया: 2000-01 की सीरीज के पहले टेस्ट में राहुल द्रविड़ ने स्लेटर की ओर पुल शॉट खेला। स्लेटर को लगा कि उन्होंने साफ कैच पकड़ा है, द्रविड़ अपनी जगह पर खड़े रहे। रीप्ले में दिखा कि गेंद स्लेटर के हाथ में जाने से पहले जमीन पर टप्पा खा चुकी थी। द्रविड़ को नॉट आउट दिया गया इसके बाद भी स्लेटर तत्कालीन उपकप्तान द्रविड़ से भिड़ गए। हालांकि अंपायर के चेतावनी देने के बाद वह पीछे हट गए। बाद में स्लेटर ने खुद माना कि द्रविड़ को स्लेज करना उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी। जब मैरा गुस्सा उतरा तो मुझे समझ आया कि मैं जानवरों जैसे हरकत कर रहा था और वह समझदार व्यक्ति की तरह। उस पल के बाद से द्रविड़ ने मेरा दिल जीत लिया। [ये भी पढ़ें: क्रिकेट इतिहास का सबसे छोटा वनडे मैच, जिसमें टीम इंडिया हुई थी शामिल]

सौरव गांगुली का करारा जवाब: आज कल गांगुली और शेन वॉर्न कमेंट्री बॉक्स में साथ नजर आते हैं लेकिन एक समय था जब इन दोनों की जोड़ी क्रिकेट के मैदान की सबसे बड़ी दुश्मनियों में से एक थी। यह शुरुआत 2003-04 के दौरे पर हुई। वॉर्न को इससे पहले एक साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था लेकिन फिर भी वह मैदान पर विपक्षी खिलाड़ियों के साथ झड़पने से बाज नहीं आए। गाबा की पिच पर खेले जाने वाले पहले टेस्ट मैच के पहले वॉर्न ने गांगुली को निशाना बनाया। उन्होंने कहा, “शॉर्ट पिच गेंदे उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है, मैं आश्चर्यचकित नहीं होंगा अगर वह इस दौरे पर खेलने के लिए संघर्ष करे। उसे इस दौरे पर सफल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी।” गांगुली को भारतीय बल्लेबाजी क्रम की सबसे कमजोर कड़ी समझा जाता था लेकिन इस दौरे पर वह सबसे सफल बल्लेबाज के रूप में उभरे। ब्रिसबेन पर उनकी 144 रनों की पारी आज भी यादगार है। इस पारी की बदौलत भारत मजबूत स्थिति में आ गया। भारत ने 1-1 से यह सीरीज ड्रॉ कराई थी।

बेचारे स्टीव बकनर: भारतीय खेमें में यह चर्चा थी कि टीम इंडिया यह सीरीज 2-1 से जीत सकती है। यह बड़ी उपलब्धि होती क्योंकि तब तक भारत ऑस्ट्रेलिया में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी। स्टीव वॉ का यह आखिरी मैच था। उन्होंने 80 रनों की संघर्षपूर्ण पारी खेल अपनी टीम के लिए मैच बचाया। वहीं स्टीव बकनर के गलत फैसलों ने भारत की जीत की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। जस्टिन लैंगर दो बार अपील करने पर भी बच गए जबकि डैमी मॉर्टिन भी भाग्यशाली रहे। गांगुली ने मैच रिपोर्ट में बकनर की अंपायरिंग को बहुत खराब करार किया और उन्हें न्यूनतम रेटिंग दी।

गांगुली, हरभजन और नागपुर: भारत 1-0 से सीरीज में पिछड़ा हुआ था जब वह तीसरा टेस्ट खेलने नागपुर पहुंचे। गांगुली हरी विकेट से खुश नहीं थे क्योंकि इससे भारत को कोई फायदा नहीं मिलने वाला था। गांगुली और हरभजन सिंह ने आखिरी समय पर मैच के बाहर होने का फैसला किया। कहा ये जा रहा था कि गांगुली चोटिल है और हरभजन को फ्लू हो गया है।

ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एडम गिलक्रिस्ट में अपनी आत्मकथा ‘ट्रू कलर्स’ में लिखा कि, “जब मैं मैदान में पहुंचा तो गांगुली वहां नहीं था, द्रविड़ कप्तान का ब्लेजर पहनकर खड़ा था। मैंने उससे पूछा कि गांगुली कहां है। राहुल ने ठीक जवाब नहीं दिया लेकिन मैने अंदाजा लगाया कि घरेलू सीरीज हारने के डर से ही वह टीम से बाहर हो गया।” हरभजन के बारे में उन्होंने लिखा कि, “हरभजन फ्लू की वजह से नागपुर टेस्ट में नहीं खेला। यह उसे तब हुआ होगा जब उसने हरी विकेट देखी होगी। मुझे आज भी नहीं पता कि गांगुली और हरभजन वह मैच क्यों नहीं खेले।”

मुंबई पिच 2004-05: ऑस्ट्रेलिया ने यह सीरीज 3-0 से जीतने की उम्मीद की होगी लेकिन वानखेड़े की पिच ने उस पर पानी फेर दिया। इस पिच पर खेल के पहले दो दिन में ही 40 विकेट गिर गए। यहां तक कि पॉर्ट टाइम गेंदबाज माइकल क्लॉर्क ने भी छह विकेट झटक लिए। 107 का पीछा कर रही कंगारू टीम 93 पर ऑलआउट हो गई।

मैच के बाद रिकी पॉन्टिंग ने कहा था कि, ” पिच टेस्ट क्रिकेट के स्तर की कतई नहीं थी। जब दो दिन में 40 विकेट गिर गए यह साफ हो गया। यह दर्शकों के लिए काफी बुरा है और आप सभी के लिए भी जिन्हें इस तरह के मैच की खबर लिखनी पड़ेगी।”

मंकीगेट: साल 2008 के सिडनी टेस्ट के दौरान एंड्रयू साइमंडस और हरभजन मैच के बीच में ही आपस में भिड़ गए। ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों को लगा कि हरभजन ‘एम’ शब्द का बार-बार प्रयोग कर रहे हैं। साइमंडस को स्टंप माइक में यह कहते सुना गया था कि, “तुमने मुझे फिर बंदर कहा, तुम्हें पता नहीं है कि तुम क्या कह रहे हो।” मैथ्यू हैडन भी इस विवाद में कूंद पड़े, उन्होंने कहा, “दो बार, अब तुम्हारे पास गवाह भी है, चैंप।” हरभजन ने विरोध करते हुए कहा कि साइमंडस ने विवाद शुरू किया था लेकिन हैडन ने उन्हें बीच में रोककर कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम जानते हो कि यह दुनिया बहुत गंदी है….नस्लीय मुक़ाबला।”

पॉन्टिंग ने इस घटना की शिकायत अंपायर से की। मार्क बेनसन और स्टीव बकनर ने मैच रेफरी माइक प्रोक्टर को रिपोर्ट की। भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने पॉन्टिंग से निवेदन किया कि हरभजन पर नस्लीय टिप्पणी का आरोप ना लगाएं, उन्होंने माफी मांगने का प्रस्ताव भी रखा लेकिन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान नहीं माने। इसके बाद हरभजन पर तीन टेस्ट मैचों का प्रतिबंध लगाया गया। भारत ने इसके खिलाफ अपील की और दौरे को बीच में छोड़ने की धमकी दी। आईसीसी ने न्यूजीलैंड कोर्ट के जज जॉन हैनसन को मामके क सुनवाई के लिए नियुक्त किया गया। सचिन तेंदुलकर जो कि उस समय हरभजन के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे उन्होंने कोर्ट में गवाही दी। जिसके बाद हरभजन पर से प्रतिबंध हटाया गया लेकिन उन्हें मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना देने की सजा दी गई।

आउट भारत कैच बेनसन गेंद बकनर: सिडनी टेस्ट में मंकीगेट के अलावा और कई विवाद हुए। साइमंडस ने उस मैच में 162 रन बनाए, अंपायर स्टीव बकनर ने उन्हें तीन बार गलत नॉट आउट दिया। इसके साथ खराब अंपायरिंग के और भी कई किस्से इस मैच में दिखे। भारत जब लक्ष्य का पीछा कर रहा था तब द्रविड़ को विकेट के पीछे कैच आउट दिया गया था जबकि उनका बल्ला पैड के पीछे था। इसके बाद गांगुली को भी स्लिप पर कैच आउट किया गया था। हालांकि गेंद फील्डर के हाथ मे आने से पहले मैदान पर गिर गई थी। रीप्ले देखने की बजाय बकनर ने सीधे सीधे फैसला दे दिया। भारतीय पत्रकारों ने मैच के बाद पॉन्टिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। भारत को क्रिकेट जगत के की दिग्गजों का समर्थन भी मिला। कुंबले ने मैच के बाद कहा था कि, “मैदान पर केवल एक ही टीम खेलभावना के साथ खेल रही थी।” भारत ने पर्थ टेस्ट में वापसी की और शानदार जीत दर्ज की। हालांकि भारत 1-2 से सीरीज हार गया था।

सिमोन कैटिंच बनाम गौतम गंभीर: गौतम गंभीर 2008 की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान बेहतरीन फॉर्म में थे। अपने घरेलू मैदान कोटला में खेले तीसरे टेस्ट में उन्होंने शानदार दोहरा शतक जड़ा था। इस मैच में वीवीएस लक्ष्मण ने स्ट्रेट ड्राइव खेला और गेंद कैटिच के हाथ से छूकर निकल गई। गंभीर और कैटिच एक दूसरे के रास्ते में आ गए। दोनो के बीच झड़प भी हुए जिसे अंपायर बिली बॉडेन ने रोका।

गंभीर ने शेन वॉटसन को दिया धक्का: इसी मैच की शुरुआत में यह किस्सा हुआ। वॉटसन की स्लेजिंग से परेशान गंभीर ने उन्हें कोहनी मारी। इससे पहले वॉटसन ने मुट्ठी दिखाकर गंभीर को उकसाया जिसके बाद गंभीर की यह प्रतिक्रिया उन्हें मिली। मैच रैफरी क्रिस ब्रॉड ने कहा, “गंभीर को दूसरे स्तर के अपराध का दोषी साबित करने का फैसला निश्चित है। यह किसी भी सूरत में मान्य नहीं है।” गंभीर को मैच की 10 प्रतिशत राश जुर्माने के रूप में देनी पड़ी साथ ही एक टेस्ट मैच का प्रतिबंध भी झेलना पड़ा।

विराट कोहली की उंगली: विराट कोहली ने गांगुली और गंभीर के रवैये को चार कदम आगे बढ़ाया। साल 2011-12 में अपनी पहली बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में कोहली ने ऑस्ट्रेलियन प्रशंसकों के एक समूह की दुर्व्यवहार का जवाब उन्हें बीच की उंगली दिखाकर दिया। कोहली कैमरे पर ऐसा करते दिख गए और उन्हें मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना देना पड़ा।

कोहली ने बाद में ट्विटर पर लिखा कि, “मैं जानता हूं कि क्रिकेटरों को प्रतिकार नहीं करना चाहिए लेकिन जब भीड़ आपकी मां-बहन के बारे में इतनी बुरी बातें बोले जो आपने कभी सुनी ना हो तो क्या करें।”

होमवर्कगेट: 2012-13 सीरीज के पहले दो टेस्ट भारत ने आसानी से जीते। दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ऐसी पहली टीम बनी जो पारी घोषित करने के बाद एक पारी से मैच हारी हो। तीसरे टेस्ट से पहले उपकप्तान वॉटसन, मिचेल जॉनसन, जेम्स पैटिंसन और उसमान ख्वाजा को उनके अनुशासनात्मक रवैये का उल्लंघन करने के लिए टीम से बाहर कर दिया था। दरअसल कोच मिक्की ऑर्थर ने सभी खिलाड़ियों को टीम का प्रदर्शन सुधारने को लेकर अपने सुझाव पेश करने के लिए कहा था लेकिन इन चारों खिलाड़ियों ने यह कार्य नहीं किया।

कप्तान क्लॉर्क कोच के फैसले से पूरी तरह सहमत थे लेकिन वॉटसन इससे काफी नाराज हुए। संन्यास लेने के बाद क्लॉर्क ने अपनी किताब में खुलासा किया था कि वॉटसन उस समूह का हिस्सा थे जो ट्यूमर की तरह था और उसे ठीक नहीं किया जा सकता था।

कोहली बनाम जॉनसन: साल 2014-15 का ऑस्ट्रलिया दौरा से कई भावनाएं जुड़ी थी। दौरे से पहले सिर पर गेंद लगने से फिलिप ह्यूज की मृत्यू हो गई। टेस्ट मैच का समय परिवर्तित किया गया जिसके बाद जॉनसन ने विराट कोहील को बाउंसर गेंद डाली। उन्होंने उस खिलाड़ी को झुका दिया जिसने हाल ही में इंग्लैंड के गेंदबाजों को धूल चटाई थी। जॉनसन को इसकी कीमत चुकाने का डर था। पूरी सीरीज में दोनों टीमों के बीच कई झड़प हुई लेकिन सबसे शर्मनाक पल आया बॉक्सिंग डे टेस्ट के दिन।

कोहली और जॉनसन पूरे मैच के दौरान भिड़ते रहे। इस मैच में कोहली ने एक और शानदार शतक जड़ा। मैच के दौरन जॉनसन ने कोहली को रन आउट करने के लिए गेंद विकटों की तरफ फेंकी लेकिन गेंद सीधा कोहली को जाकर लगी। इसके बाद दोनों के बीच काफी गहमा-गहमी हुई और अंपायर को बीच बचाव के लिए आना पड़ा। कोहली ने मैच के बाद कहा कि, “मैं उससे काफी नाराज हुआ जब उन्होंने मुझे गेंद से मारा और मैंने उनसे कहा कि यह गलत है, अगली बार विकटों पर मारने की कोशिश करें, मुझ पर नहीं।” कोहली ने साफ-साफ कहा कि वह इस तेज गेंदबाज की इज्जत नहीं करते।

आक्रामक कोहली, अनजान स्मिथ और डीआरएस: विश्व की शीर्ष टेस्ट टीम से उम्मीद की जा रही थी कि वह ऑस्ट्रेलिया को इस सीरीज में 4-0 से मात देगी लेकिन सभी को चौंकाते हुए स्मिथ ने पुणे टेस्ट में बाजी मार ली। कप्तान कोहली और स्मिथ पूरे टेस्ट मैच के दौरान सुर्खियों में रहे। बैंगलौर टेस्ट के चौथे दिन जब मेहमान टीम 188 के लक्ष्य का पीछा कर रही थी स्मिथ उमेश यादव की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए।

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स्मिथ ने डीआरएस लेने के लिए ड्रेसिंग रूम से मदद लेनी चाही। इसी बीच कोहली गुस्से में उनके पास आए और याद दिलाया कि वह ऐसा नहीं कर सकते लेकिन अंपायर ने पहले ही स्मिथ को रोक दिया। कोहली ने मैच के बाद स्मिथ पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्मिथ को दो बार पहले भी ड्रेसिंग रूम से मदद लेते देखा है। वहीं स्मिथ का कहना था कि अचानक हुई प्रतिक्रिया थी, दरअसल उनका दिमाग काम नहीं कर रहा था।