Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - January 13, 2017 12:56 PM IST
भारत और इंग्लैंड के बीच वनडे सीरीज के पहले मैच में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में इंग्लैंड के लिए टेस्ट सीरीज में हार के बाद वापसी करना बेहद ही मुश्किल होगा। लेकिन अभ्यास मैच में इंग्लैंड ने शानदार खेल दिखाया और इस बात के साफ संकेट दिए कि वो वनडे में आसानी से हार नहीं मानेंगे। लेकिन भारत भी तैयार है और भारतीय धुरंधरों के सामने इंग्लैंड के लिए टिक पाना आसान नहीं रहेगा। साथ ही भारतीय टीम के मजबूत मध्यक्रम से निपटना इंग्लैंड के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। जिस टीम के मधयक्रम में विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह, मनीष पांडे जैसे धुरंधर हों वो मध्यक्रम कितना खतरनाक हो सकता है और विपक्षी टीम के लिए इसे भेदना कितना मुश्किल हो सकता है आइए जानते हैं।
विराट कोहली: इस बात में कोई दोराय नहीं है कि विराट कोहली इंग्लैंड के लिए सबसे खतरनाक खिलाड़ी साबित होंगे। कोहली ने इससे पहले टेस्ट में तो इंग्लैंड को अपने बल्ले से चित किया ही था अब वह वनडे में भी तैयार हैं अपना दम दिखाने के लिए। वनडे में तो कोहली और भी उग्र हो जाते हैं। साथ ही कोहली अब तीनों ही प्रारूपों के कप्तान नियुक्त हो चुके हैं ऐसे में वह अब और खतरनाक होकर मैदान पर उतरेंगे।
कोहली ने फिछले साल कुल 10 वनडे मैच खेले। इस दौरान उन्होंने 92 की औसत के साथ 739 रन ठोक डाले। साथ ही कोहली का स्ट्राइक रेट 100 का रहा और उन्होंने 3 शतकों के सात-साथ 4 अर्धशतक भी ठोंके। कोहली का सर्वोच्च नाबाद 154 रन रहा। वहीं ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कोहली ने 91, 59, 117, 106, 8 का स्कोर किया। साफ है नंबर तीन पर भारत की बल्लेबाजी के रीढ़ कोहली से निपटना इंग्लैंड के गेंदबाजों के लिए कतई आसान नहीं रहेगा। ये भी पढ़ें: भारत बनाम इंग्लैंड वनडे और टी20 सीरीज खतरे में
महेंद्र सिंह धोनी: हाल ही में कप्तानी से इस्तीफा देने वाले महेंद्र सिंह धोनी अब बतौर खिलाड़ी ही मैदान पर उतरेंगे। ऐसे में अब उनपर कप्तानी का कोई दबाव नहीं होगा और वह खुलकर अपने शॉट खेल सकेंगे। ये किसी से छिपा नहीं है कि धोनी विपक्षी टीम के लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं। धोनी ने भारत को कई हारे मैच जिताए हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि वह अब ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करते नजर आएंगे और ऐसा उन्होंने आखिरी सीरीज (न्यूजीलैंड) के खिलाफ किया भी था। धोनी ने कीवी टीम के खिलाफ खुद को नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए उतारा था। साफ है नंबर चार पर धोनी अपनी पारी को लंबा खीच सकेंगे और कोहली के साथ मिलकर भारतीय पारी को मजबूती प्रदान करेंगे।
ऐसे में इंग्लैंड के खिलाफ धोनी अपने पिछले साल के औसत दर्जे के प्रदर्शन में भी सुधार लाना चाहेंगे। धोनी ने पिछले साल 13 मैचों की 10 पारियों में कुल 278 रन बनाए और उनका औसत महज 27.80 का रहा। साल 2016 में धोनी का औसत उनके करियर के औसत से आधे से कुछ ज्यादा ही रहा। धोनी ने 2016 में सिर्फ एक ही अर्धशतक लगाया और उनके नाम कोई शतक नहीं रहा। वहीं धोनी का सर्वोच्च स्कोर 80 रन रहा। साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर धोनी ने 18, 11, 23, 0, 34 का स्कोर किया। वहीं न्यूजीलैंड के खिलाफ उनके बल्ले से सिर्फ एक अर्धशतक ही निकला। धोनी ने अभ्यास मैच में तेज तर्रार पारी खेलकर अपने इरादे जाहिर भी कर दिए हैं। ऐसे में साल 2017 की शुरुआत धोनी बेहतर और तरोताजा होकर करना चाहेंगे।
युवराज सिंह: 3 साल बाद भारतीय वनडे टीम में वापसी करने वाले युवराज सिंह को जैसे इसी पल का इंतजार था। युवराज जब पहले वनडे में खेलने उतरेंगे तो उनकी स्थिति बिल्कुल भूखे शेर जैसी होगी। और वह इस मौके को भुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। युवराज इस बात को बेहतर तरीके से जानते हैं कि अगर उन्हें विश्व कप 2019 तक का सफर तय करना है तो ये सीरीज उसकी अहम सीढ़ी है। ऐसे में युवराज सिंह इस सीरीज में खुद को साबित जरूर करेंगे। युवराज सिंह जब अपने रंग में होते हैं तो किसी भी दिन किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त करने का माद्दा रखते हैं।
हाल ही में पहले अभ्यास मैच में युवराज सिंह ने अपने फॉर्म में होने के संकेत दिए थे। अभ्यास मैच में युवराज ने 47 गेंदों में 56 रनों की पारी खेली थी। वहीं अभ्यास मैच से पहले भी उन्होंने रणजी ट्रॉफी में शानदार खेल दिखाया था। रणजी ट्रॉफी में शानदार खेल के दम पर ही चयनकर्ताओं ने उन्हें वनडे टीम में वापस बुलाया। युवराज ने रणजी में अपनी बेहतरीन फॉर्म के दम पर पांच मैचों में 84 की औसत के साथ 672 रन ठोक डाले थे। साथ ही युवराज ने इसी दौरान 260 रनों की पारी खेली जो उनके प्रथम श्रेणी क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ पारी है। साफ है युवराज सिंह को जल्दी आउट करना इंग्लैंड के लिए एक चुनौती होगी। ये भी पढ़ें: के एल राहुल को नकार अजिंक्य रहाणे से ओपन कराना क्यों हो सकता है घातक?
मनीष पांडे: मनीष पांडे जो कि मैच दर मैच खुद को भारतीय टीम में स्थापित करते जा रहे हैं। हालांकि मनीष पांडे को बल्लेबाजी सा ज्यादा मौका नहीं मिला है। लेकिन जितना मिला है उतने में ही उन्होंने टीम में अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। ये देखना दिलचस्प होगा कि पांडे को इंग्लैंड के खिलाफ किस भूमिका में उतारा जाता है और उन्हें क्या जिम्मेदारी दी जाती है। लेकिन इतना तो साफ है कि पांडे हर जिम्मेदारी को निभाने का माद्दा रखते हैं।
2016 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्हें ज्यादा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। लेकिन जिन दो मैचों में उन्हें खेलने का मौका मिला उसमें उन्होंने एक में नाबाद शतक जड़ दिया तो एक में वह 4 रन ही बना सके। इसके बाद जिम्बाब्वे दौरे पर भी उन्हें सिर्फ एक पारी में ही खेलने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने नाबाद 4 रन बनाए। लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गई वनडे सीरीज में पांडे ने कुछ खास नहीं किया और फीके साबित हुए। लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ वह साबित करना चाहेंगे कि भरपूर मौका मिलने पर वह टीम के लिए बहुत ही उपयोगी खिलाड़ी हैं।
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