'कोलपैक डील' बनी साउथ अफ्रीका क्रिकेट के लिए बड़ा खतरा, जानिए कैसे ?
मोर्ने मोर्कल के बाद अब डुआने ओलिवर भी बने कोलपैक डील का शिकार।
साउथ अफ्रीका की टीम के लिए मंगलवार को एक बुरी खबर आई। तेज गेंदबाज डुआने ओलिवर ने विश्व कप 2019 से तीन महीने पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उन्होंने इंग्लिश काउंटी क्लब यार्कशायर के साथ खेलने का करार किया है।
किसी दूसरे देश में काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए अपने देश में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की बात सुनने में कुछ अजीब जरूर लगती है, लेकिन साउथ अफ्रीका क्रिकेट इन दिनों कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है। पिछले दाे साल के अंदर डुआने ओलिवर साउथ अफ्रीका के चौथे ऐसे खिलाड़ी हैं जो कोलपैक डील के जाल में फंसकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं।
डुआने ओलिवर ने 10 टेस्ट मैचों में 48 विकेट अपने नाम किए हैं। पिछले महीने पाकिस्तान के खिलाफ साउथ अफ्रीका ने टेस्ट सीरीज को 3-0 से क्लीनस्वीप किया था। इस टूर्नामेंट के दौरान ओलिवर प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे थे। बड़ा सवाल है कि आखिरी क्यों साउथ अफ्रीका क्रिकेट में अच्छा भविष्य होने के बावजूद खिलाड़ी कोलपैक के जाल में फंसकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूरी बना रहे हैं? ये कोलपैक है क्या? आईये हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
क्या है कोलपैक डील ?
कोलपैक डील साल 2003 में प्रभाव में आई। स्लोवाकिया के हैंडबॉल के खिलाड़ी मारो कोलपाक को जर्मन के क्लब से रिलीज कर दिया गया था। कारण बताया गया कि नॉन यूरोपीयन खिलाड़ी के कोटे की सीमा के कारण ये निर्णय लिया गया है। उन्हें लगा कि ये उनके साथ अन्यास है। लिहाजा उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। यूरोप की अदालत ने उनके पक्ष में फैसला दिया।
अदालत ने कहा अगर खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलने के अधिकार को छोड़ दे तो वो कोलपैक डील के अंतर्गत यूरोप में खेलने के योग्य है। इस डील के तहत खिलाड़ी को खेलने के लिए केवल वर्किंग वीजा चाहिए।
साउथ अफ्रीका को कोलपैक डील से क्या है नुकसान ?
साउथ अफ्रीका की करेंसी इंग्लैंड के मुकाबले काफी कमजोर है। साउथ अफ्रीका क्रिकेट अपने खिलाड़ियों को उतनी राशि नहीं दे पाता जितना उन्हें इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलने से मिल जाती हैं। करेंसी में ज्यादा अंतर होने के कारण ये राशि काफी अधिक हो जाती है। ऐसे में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी अपने देश में खेलने से ज्यादा कोलपैक डील के तहत इंग्लिश काउंटी खेलना पसंद करते हैं।
मोर्ने मोर्कल बन चुके हैं कोलपैक डील का शिकार
साउथ अफ्रीका की टीम के पूर्व तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्कल भी कोलपैक डील का शिकार बन चुके हैं। साल 2018 में इंग्लिश काउंटी टीम सरे की तरफ से खेलने के लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। वो काउंटी टीम कैंट की तरफ से भी खेल चुके हैं। मोर्कल के अलावा साल 2017 में साउथ अफ्रीका के तेज गेंदबाज काइल एबॉट और बल्लेबाज रिले रोसौव ने कोलपैक डील के तहत देश के क्रिकेट को छोड़कर हैम्पशायर की तरफ से खेलने के लिए चले गए थे।
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