×

वापसी करने के लिए बेताब 2007 टी20 विश्व कप का हीरो

आर पी सिंह ने रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में गुजरात की तरफ से 3 विकेट झटके और 40 रन बनाए

user-circle cricketcountry.com Written by Manoj Shukla
Last Updated on - January 3, 2017 11:54 AM IST

भारतीय टीम © Getty Images
भारतीय टीम © Getty Images

साल 2000 के बीच में भारत को एक ऐसा गेंदबाज मिला जो टीम इंडिया के लिए एक खोज माना जाने लगा। उसकी गेंदों की रफ्तार 140 से ज्यादा थी और उसकी तेजी-बाउंस के सामने बड़े से बड़ा बल्लेबाज गच्चा खा जाता था। बहुत ही कम समय में टीम इंडिया में उसने अपनी पहचान बना ली और तेज गेंदबाजी की धार बनकर उभरा। लेकिन भारतीय तेज गेंदबाजों की परंपरा को बनाए रखते हुए ये गेंदबाज भी अपनी तेजी और स्विंग को बरकरार नहीं रख सका और साल 2011 में टीम से बाहर हो गया। लेकिन अब एक बार फिर से ये गेंदबाज दम भर रहा है टीम इंडिया में वापसी के लिए।

ये गेंदबाज कोई और नहीं, बल्कि साल 2007 में टी20 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले रुद्र प्रताप सिंह हैं। जी हां, आर पी सिंह आजकल रणजी ट्रॉफी में खेल रहे हैं और ना सिर्फ खेल रहे हैं बल्कि शानदार प्रदर्शन भी कर रहे हैं। उनकी टीम रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पहुंच गई है, जहां उनका मुकाबला झारखंड से हो रहा है। आर पी सिंह ने सेमीफाइनल में अब तक 3 विकेट झटककर झारखंड को बैकफुट पर ला दिया है। वहीं आर पी सिंह ने बल्ले से भी कमाल दिखाते हुए तेज 40 रनों का योगदान दिया। तो जैसा कि अब भारतीय टीम में गेंदबाजों से भी बल्ले से बेहतर करने की अपेक्षा की जा रही है और हाल की श्रंखलाओं में भारतीय टीम के निचले क्रम ने भी टीम के स्कोर में अपना योगदान दिया है। ऐसे में क्या आर पी सिंह भारतीय टीम में जगह बना पाएंगे?, आइए जानते हैं।

धमाकेदार रहा था आगाज: साल 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने टेस्ट करियर का आगाज करने वाले आर पी सिंह ने पहले ही मैच में शानदार खेल दिखाया था। उन्होंने अपनी तेजी और स्विंग से पाकिस्तान को काफी परेशान किया था। आर पी सिंह ने पहले मैच की पहली पारी में चार और मैच में कुल 5 विकेट झटककर अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था। आर पी सिंह ने शोएब मलिक, यूनिस खान, मोहम्मद यूसुफ और अब्दुल रज्जाक के विकेट निकाले थे जो पाक टीम की रीढ़ की हड्डी माने जाते थे।  ये भी पढ़ें: इतिहास के पन्नों से: जब आखिरी ओवर में 17 रन बनाकर भारत ने कंगारुओं का कर दिया था सूपड़ा साफ

वहीं आर पी सिंह ने अपने वनडे करियर का आगाज साल 2005 में जिम्बाब्वे के खिलाफ किया था। अपने पहले मैच में आर पी सिंह ने 8 ओवरों में 44 रन देकर 2 खिलाड़ियों को आउट किया था। इसके बाद आर पी सिंह लगातार भारतीय टीम का हिस्सा बने रहे और मुख्य हथियार के रूप में बनकर उभरे।
अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर आर पी सिंह को 2007 टी20 विश्व कप में खेलने का मौका मिला। आर पी सिंह इस विश्व कप में भारत के मुख्य गेंदबाज बनकर उभरे। आर पी सिंह ने टी20 विश्व कप के 6 मुकाबलों में बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए कुल 12 विकेट झटके। वहीं पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में सिंह ने 3 विकेट निकालकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। टूर्नामेंट में आर पी सिंह तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। वहीं पहले नंबर पर पाकिस्तान के उमर गुल थे जिनके खाते में 13 विकेट थे।

कैसा रहा आर पी सिंह का करियर: आर पी सिंह ने अपने टेस्ट करियर में 14 मैचों में 40 विकेट झटके। इस दौरान उन्होंने एक पारी में पांच विकेट एक बार झटके तो उनका सर्वोच्च एक पारी में 59 रन देकर पांच विकेट रहा। वहीं 58 वनडे मैचों में आर पी सिंह के नाम कुल 69 विकेट रहे। सिंह का सर्वश्रेष्ठ 35 रन देकर 4 विकेट रहा। वहीं आर पी सिंह ने 10 टी20 मैचों में कुल 15 विकेट अपने नाम किए। सिंह का एकॉनोमी 6.81 का रहा।

टीम से क्यों बाहर हुए: कहते हैं तूफान जितनी तेजी से आता है उससे जल्दी वो जाता भी है। आर पी सिंह के साथ भी ऐसा ही देखने को मिला। आर पी सिंह वैसे तो टेस्ट साल 2008 में ही टेस्ट टीम से बाहर हो गए थे। इस साल उन्होंने 5 मैचों में 11 विकेट झटके थे। इस दौरान भारत ने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों के खिलाफ मैच खेले लेकिन आर पी सिंह अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। हालांकि 3 साल बाद उन्होंने इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में फिर से वापसी की लेकिन एक ही मैच के बाद उन्हें फिर से बाहर होना पड़ा। इस एक मैच में सिंह ने कोई विकेट नहीं लिया था। ये भी पढ़ें: स्कोर चेज करते वक्त सबसे ज्यादा औसत से रन बनाने वाले 5 भारतीय बल्लेबाज

वहीं आर पी सिंह ने 58 वनडे मैचों में कुल 69 विकेट लिए हैं। आर पी सिंह का सर्वश्रेष्ठ 35 रन देकर 4 विकेट रहा। आर पी सिंह साल 2005 से साल 2009 तक लगातार टीम इंडिया का हिस्सा रहे और अपनी धारदार गेंदबाजी से विपक्षी टीमों के लिए सिरदर्दी बने रहे। लेकिन 2009 में खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। हालांकि उन्होंने साल 2011 में फिर से टीम में वापसी की। लेकिन इस बार उनकी गेंदबाजी में पहली जैसी धार नहीं दिखी। इस साल उन्होंने 3 मैचों में सिर्फ 4 ही विकेट झटके और टीम से बाहर हो गए।

रणजी में मौजूदा प्रदर्शन: यूपी की टीम ने आर पी सिंह पर भरोसा नहीं जताया और सिंह ने गुजरात की टीम में अपनी जगह बना ली। गुजरात की तरफ से गेंदबाजी में सिंह का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। लेकिन सेमीफाइनल मुकाबले में उन्होंने अपने खेल का स्तर उठाते हुए अपने नाम के अनुरूप प्रदर्शन किया। आर पी सिंह ने अब तक 3 विकेट अपने नाम कर लिए थे। आरपी ने प्रत्युष सिंह (27), सुमित कुमार (02) और ईशान किशन (61) के विकेट लिए। आरपी ने दिन की समाप्ति से एक ओवर पहले ईशान किशन को जसप्रीत बुमराह के हाथों कैच कराकर गुजरात को बड़ी सफलता दिलाई। इशान ने 59 गेंदों में 61 रन की आक्रामक पारी में नौ चौके और तीन छक्के लगाए।

TRENDING NOW

क्यों बन सकती है टीम में जगह: जैसा कि भारतीय टीम के मुख्य तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी चोटिल चल रहे हैं और अगर वह फिट भी हो जाते हैं तो उनके अलावा टीम के दूसरे मुख्य तेज गेंदबाज उमेश यादव उतने प्रभावशाली साबित नहीं हुए हैं। उमेश यादव ने साल 2016 में 9 मैचों में सिर्फ 15 विकेट ही लिए हैं। वहीं इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों में 8 ही विकेट झटकने में कामयाब रहे। अब जब भारत को आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया और विदेशी दौरे पर जाना है तो ऐसे में आर पी सिंह के रूप में भारत को एक अच्छा विकल्प मिल सकता है। विदेशी पिचों पर आर पी सिह की तेजी और स्विंग से टीम को फायदा मिल सकता है। विदेशी सरजमीं पर खेले गए 12 मुकाबलों में सिंह के नाम 40 विकेट हैं। जिसे बेहतरीन कहा जा सकता है। ऐसे में विदेशी दौरे के लिए आर पी सिंह पर एक बार फिर से भरोसा जताया जा सकता है।