Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - January 3, 2017 2:34 PM IST
आज हम आपके लिए इतिहास के पन्नों से खंगाल कर लाए हैं 25 जनवरी 2014 को खेला गया भारत और न्यूजीलैंड के बीच का मुकाबला। इस मुकाबले ने रोमांच की सारी हदें पार कर दीं थीं और अंत में इस मैच में ना कोई जीता था और ना कोई हारा था। हालांकि 49वें ओवर तक न्यूजीलैंड की पकड़ मैच में मजबूत थी और भारतीय टीम मैच हारते दिख रही थी, लेकिन अंतिम ओवरों में क्रीज पर मौजूद भारत की आखिरी उम्मीद रवींद्र जडेजा ने मैच का नक्शा ही बदल दिया और आखिरी ओवर में 18 रन जड़कर मैच को टाई करा दिया। तो आखिर क्या हुआ था उस दिन, आइए जानते हैं।
भारतीय टीम पांच मैचों की वनडे सीरीज के लिए न्यूजीलैंड के दौरे पर थी। सीरीज के शुरुआती दो मैच न्यूजीलैंड की टीम जीत चुकी थी और तीसरा मुकाबला ऑकलैंड के ईडन पार्क में खेला जा रहा था। मैच में जहां न्यूजीलैंड का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ था तो भारत के इरादे इस मैच को जीतकर सीरीज में वापसी करने के थे। मैच में भारतीय कप्तान एम एस धोनी ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। न्यूजीलैंड के दोनों सलामी बल्लेबाज मार्टिर गप्टिल और जेसी राइडर ने टीम को तेज शुरुआत दी। दोनों ही बल्लेबाज टिकते ही नजर आ रहे थे कि राइडर को भुवनेश्वर कुमार ने बोल्ड कर भारत को पहली सफलता दिला दी।
तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए केन विलियमसन ने गप्टिल का बखूबी साथ दिया और दोनों ने रन रेट को नीचे नहीं आने दिया। इसी बीच आक्रामक बल्लेबाजी कर रहे मार्टिन गप्टिल ने अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। दोनों की निगाहें जम चुकीं थीं और दोनों आक्रामक होकर खेल रहे थे। देखते ही देखते विलियमसन ने भी अपना अर्धशतक ठोक दिया। भारतीय गेंदबाजों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी थी। दोनों अब उग्र होकर खेल रहे थे। लेकिन तभी विलियमसन को मोहम्मद शमी ने बोल्ड कर भारत को जरूरी दूसरी सफलता दिला दी। विलियमसन जब आउट हुए तो टीम का स्कोर 32.5 ओवरों में दो विकेट के नुकसान पर 189 रन था। अभी टीम के स्कोर में 9 रन और जुड़े थे कि आर अश्विन ने कोरी एंडरसन को 8 रन के निजी स्कोर पर आउट कर भारत को मैच में वापस ला दिया। ये भी पढ़ें: वापसी करने के लिए बेताब 2007 टी20 विश्व कप का हीरो
लेकिन एक छोर पर टिककर खेल रहे गप्टिल ने रन गति को नीचे नहीं आने दिया और तेज-तर्रार रन बनाते रहे। इसी बीच गप्टिल ने अपना शतक भी पूरा कर लिया। वहीं दूसरे छोर पर टेलर भी अब तेज खेल रहे थे। टेलर ने दो चौके जड़कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। लेकिन इसी बीच भारत ने गप्टिल का विकेट निकालकर कुछ राहत की सांस ली। गप्टिल ने 129 गेंदों में 111 रन बनाए। गप्टिल ने अपनी पारी में 12 चौके और 2 छक्के लगाए। टीम के स्कोर में अभी 6 रन और जुड़े थे की टेलर को रहाणे ने रन आउट कर भारत को पांचवीं सफलता दिला दी। विशाल स्कोर की तरफ बढ़ रही कीवी टीम की उम्मीदों को जबर्दस्त झटका लगा था। लेकिन इसके बाद ल्यूक रॉन्की औरक टिम साऊदी ने निचले क्रम में उपयोगी पारियां खेलीं। जिसकी बदौलत कीवी टीम ने भारत के सामने 50 ओवरों में 315 रनों का लक्ष्य रखा।
जवाब में सीरीज में बने रहने का और इतने बड़े लक्ष्य के दबाव का असर भारतीय सलामी जोड़ी पर नहीं पड़ा और रोहित शर्मा–शिखर धवन ने टीम के तेज शुरुआत दिलाई। दोनों ने आते ही कीवी टीम के गेंदबाजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और आक्रामक होकर खेलने लगे। दोनों ने टीम के स्कोर को 50 के पार पहुंचा दिया। लेकिन कोरी एंडरसन ने शिखर धवन को आउट कर भारत को पहला झटका दे दिया। धवन जब आउट हुए तो भारत का स्कोर 9.2 ओवर में 64 रन था। लकिन इसके बाद 15 रनों के भीतर ही भारत ने 3 और विकेट खो दिए। और भारत का स्कोर 17.4 ओवरों में 79 रन पर 4 विकेट हो गया। शिखर, रोहित, विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे पवेलियन लौट चुके थे।
क्रीज पर थे एमएस धोनी और सुरेश रैना। दोनों बल्लेबाजों ने टीम के स्कोर को 100 के पार पहुंचाया। धोनी बार-बार रैना को समझा रहे थे। भारत को मैच में बने रहने के लिए दोनों बल्लेबाजों से बड़ी पारियों की उम्मीद थी। दोनों की ही निगाहें अब जमती नजर आ रहीं थीं कि तभी साऊदी ने रैना को रॉन्की के हाथों कैच करा भारत की कमर तोड़ कर रख गदी। भारत की आधी टीम 146 के स्कोर पर पवेलियन लौट चुकी थी। धोनी का साथ देने आर अश्विन क्रीज पर आए थे। इसी बीच धोनी ने अपना अर्धशतक पूरा किया। लेकिन 50 के ही स्कोर पर साऊदी ने धोनी को भी आउट कर भारत की जीत की उम्मीदों को लगभग खत्म ही कर दिया था। धोनी के आउट के बाद भारत का स्कोर 35.4 ओवरों में 6 विकेट के नुकसान पर 184 रन था।
अब भारतीय समर्थकों को भारत की जीत की कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन कहते हैं कि क्रिकेट अनिश्तताओं का खेल है। स्टेडियम में मौजूद सभी दर्शक अब सिर्फ भगवान को ही याद कर रहे थे। वहीं क्रीज पर मौजूद अश्विन और रवींद्र जडेजा पर भारी दबाव था। सितारों से सजी टीम के सभी बड़े खिलाड़ी पवेलिय में आराम फरमा रहे थे और टीम को जीत दिलाने का दारोमदार अब इन दोनों पर आ चुका था। ऐसे में करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों की उम्मीद को अपने कंधे पर उठाए दोनों ही बल्लेबाजों ने साहस के साथ कीवी गेंदबाजों का सामना करना शुरू किया।
लेकिन उम्मीद के उलट दोनों ने रक्षात्मक रवैया ना अपनाकर आक्रामक रुख अपनाया और यह काम भी आया। भारत की रनगति को फिर से तेजी मिल गई और मैच में पहली बार कीवी टीम दबाव में दिखने लगी। दोनों ही बल्लेबाजों ने शानदार तरीके से हर गेंदबाजों के खिलाफ शानदार बल्लेबाजी की और टीम के स्कोर को 200 के पार पहुंचा दिया। इसी बीच अश्विन ने अपना अर्धशतक पूरा किया। दोनों ही बल्लेबाजों ने एक बार फिर से जीत की उम्मीदें को जिंदा कर दिया था। भारतीय समर्थक एक बार फिर से उत्साहित होने लगे थे। और देखते ही देखते टीम इंडिया ने अपना स्कोर 250 के पार पहुंचा दिया। लेकिन इसी बीच कीवी टीम ने भारत की उम्मीद दिख रहे अश्विन का विकेट निकालकर भारत को एक बार फिर से संकट में ला दिया। अश्विन 46 गेंदों में 65 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद भारत को दो और जल्दी-जल्दी झटके लगे और भारत का स्कोर 47.5 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 286 रन हो गया। ये भी पढ़ें: इतिहास के पन्नों से: जब आखिरी ओवर में 17 रन बनाकर भारत ने कंगारुओं का कर दिया था सूपड़ा साफ
अब भारत को दो ओवरों में जीत के लिए 29 रनों की दरकार थी तो न्यूजीलैंड को सिर्फ एक विकेट की। रोमांच अपने चरम सीमा पर था। पहली गेंद में वरुण ऐरोन ने जडेजा को स्ट्राइक दी। दूसरी गेंद पर जडेजा ने छक्का जड़ दिया। तीसरी गेंद पर कीवी खिलाड़ी ने जडेजा का कैच छोड़ दिया। हालांकि इसके बाद इस ओवर में कोई और बाउंड्री नहीं लगी। अब मैच आखिरी ओवर में पहुंच चुका था। आखिरी ओवर में भारत को जीतने के लिए 18 रन चाहिए थे। और गेंदबाज थे कोरी एंडरसन। जडेजा ने पहली ही गेंद पर गेंद को बाउंड्री के बाहर भेज भारतीय समर्थकों के मरझाए चेहरों पर फिर से खुशी ला दी थी। भारत को अब जीतने के लिए पांच गेंदों में 14 रन चाहिए थे। दूसरी गेंद एंडरसन ने वाइड फेंकी। कीवी टीम पर दबाव साफ झलकने लगा था। हालांकि इसकी अगली गेंद पर कोई रन नहीं बना।
अब भारत को जीत के लिए चार गेंदों में 13 रनों की जरूरत थी। तीसरी गेंद पर भी कोई रन नहीं बना और कीवी टीम जीत का जश्न मनाने लगी। चौथी गेंद फिर से एंडरसन ने वाइड फेंकी और टीम के खाते में एक और रन जुड़ गया। अब आखिरी तीम गेंदों में भारत को जीतने के लिए 12 रन चाहिए थे। मैच कहीं भी जा सकता था। चौथी गेंद पर जडेजा ने चौका जड़कर भारत की उम्मीदों को जिंदा रखा। दो गेंदों में अब भारत को जीत के लिए 8 रन चाहिए थे। पांचवीं गेंद को जडेजा ने मिडविकेट के ऊपर से छह रनों के लिए भेज दिया। जडेजा ने जैसे ही छक्का लगाया वैसे ही पूरा स्टेडियम खुशी से सराबोर हो गया। अब गेंद बची थी एक और रन चाहिए थे दो। कप्तान ब्रेंडन मैकलम ने सभी खिलाड़ियों को 30 गज के भीतर बुला लिया और जडेजा पर दबाव बनाने की कोशिश करने लगे।
आखिरी गेंद एंडरसन ने जडेजा की तरफ फेंकी, जडेजा ने एक पैर को गेंद की लाइन से अलग कर मिड ऑफ के क्षेत्र में करारा शॉट खेला, लेकिन मिड ऑफ पर खड़े फील्डर ने गोता लगाते हुए गेंद को रोक लिया। लेकिन तब तक दोनों ही बल्लेबाजों ने तेजी से एक रन चुरा लिया था, लेकिन दूसरे रन की कोई गुंजाइश नहीं थी। और इसी के साथ सांस रोक देने वाला मुकाबला टाई हो गया था। हालांकि एक समय मैच गंवाती दिख रही भारतीय टीम ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए मैच को टाई करा लिया था। सभी दर्शकों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। भारत ने जडेजा की बेहतरीन बल्लेबाजी की बदौलत मैच को टाई करा लिया था। जडेजा ने पूरे मैच में 45 गेंदों में नाबाद 66 रन बनाए थे। जडेजा ने अपनी पारी में 5 चौके और 4 गगनचुंबी छक्के लगाए थे।
This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.
Strictly Necessary Cookie should be enabled at all times so that we can save your preferences for cookie settings.
If you disable this cookie, we will not be able to save your preferences. This means that every time you visit this website you will need to enable or disable cookies again.