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IND vs ENG: जय शाह के गुजरात में होंगे 7 मैच, गांगुली की कथनी भी साबित हुई झूठी, खेल संघों ने की बगावत !
ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद पांच फरवरी से इंग्लैंड के खिलाफ अपने घर पर भारत को खेलना है.
Written by India.com Staff
Last Published on - December 12, 2020 11:09 PM IST

इंग्लैंड के भारत (India vs England, Full Schedule, Fixture) दौरे के शेड्यूल का ऐलान हो चुका है. 5 फरवरी को दो मैचों की टेस्ट सीरीज के साथ दौरे की शुरुआत होगी. इस दौरान पांच टी20 और तीन वनडे मुकाबले भी खेले जाएंगे. बीसीसीआई द्वारा जारी किए गए भारत-इंग्लैंड सीरीज के शेड्यूल पर विभिन्न खेल संघों की तरफ से नाराजगी जाहिर की गई है.
कई राज्य संघों ने आयोजन स्थलों के इस चयन को इस महीने होने वाले बीसीसीआई चुनावों से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है. यहां तक कि बीसीसीआई के प्रमुख सौरव गांगुली के घरेलू राज्य के संघ ने आयोजन स्थलों के चयन पर आपत्ति जताई है, और कहा है कि सीरीज के 12 मैचों में से एक भी मैच उसे एलॉट नहीं किया गया.
मुंबई क्रिकेट संघ ने तो इस फैसले पर हैरानी जाहिर की है. उसे एक भी मैच की मेजबानी नहीं मिली है जबकि गुजरात क्रिकेट संघ को 12 में से सात मैचों की मेजबानी मिली है.
पुणे और चेन्नई को मेजबानी मिली है. चेन्नई में दो टेस्ट मैच खेले जाएंगे जबकि पुणे को तीन मैचों की वनडे सीरीज की मेजबानी करनी है.
मुंबई क्रिकेट संघ का कहना है कि उसे चार साल में एक भी टेस्ट की मेजबानी नहीं मिली है और यह काफी हैरान करने वाला फैसला है.
गांगुली की बात भी साबित हुई झूठी
मजेदार बात यह है कि गांगुली ने सितम्बर में कहा था कि मुंबई और कोलकाता को इंग्लैंड के साथ होने वाली सीरीज के मैचों की मेजबानी मिलेगी.
इसे लेकर बंगाल क्रिकेट संघ और मुम्बई क्रिकेट संघ के अधिकारियों ने सीधे बीसीसीआई से सवाल किए हैं. सीएबी के अध्यक्ष अभिषेक डालमिया ने कहा है कि उन्हें यह बताया जाए कि आखिरकार उनके संघों को इस सीरीज के मैचों की मेजबानी क्यों नहीं मिली.
इसी तरह एमसीए की कार्यकारी समिति के सदस्य नदीम मेनन ने पैनल के सदस्यों की ओर से बोलते हुए एमसीए अध्यक्ष विजय पाटिल से सीधा सवाल किया है कि वह पैनल को बताएं कि आखिरकार एमसीए को बीते चार साल से टेस्ट की मेजबानी क्यों नहीं मिली है.
सीएबी और एमसीए के अलावा कई अन्य संघों ने महाराष्ट्र क्रिकेट संघ के मुख्यालय पुणे को मेजबानी दिए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि क्या इसे 24 दिसम्बर को होने वाले बीसीसीआई चुनावों से जोड़कर देखा जाए.
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संघों की चिंता यह भी है कि अगर उन्हें लम्बे समय तक मैचों की मेजबानी नहीं मिलेगी तो उनकी वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी क्योंकि बोर्ड एक टेस्ट के लिए संघों को 2.5 करोड़ रुपये, एक वनडे के लिए 1.5 करोड़ रुपये और एक टी20 के लिए भी इतने ही रुपये देता है.