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टीम इंडिया के स्पॉन्सरशिप ट्रांसफर को लेकर उठ रहे हैं सवाल
बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सिर्फ प्रायोजक अधिकार स्थानांतरित करने के बजाए अगर नीलामी प्रक्रिया का पालन होता तो इससे फायदा होता और यह पारदर्शी प्रक्रिया भी होती।
Written by Indo-Asian News Service
Last Published on - July 25, 2019 6:27 PM IST

भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर सितंबर में नया लोगो होगा। बेंगलुरू स्थिति शैक्षणिक तकनीक एवं ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाली कंपनी बायजू भारतीय टीम की जर्सी पर मोबाइल बनाने वाली कंपनी ओप्पो का स्थान लेगी। बायजू को भारतीय टीम का नया प्रयोजक नियुक्त किया गया है।
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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का मानना है कि अगर ओप्पो प्रायोजक बने रहना नहीं चाहता है तो इसके बाद एक पारदर्शी प्रक्रिया से नए प्रायोजक का चुनाव होना चाहिए। इससे बोर्ड को अच्छी डील करने का भी मौका मिलेगा।
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सिर्फ प्रायोजक अधिकार स्थानांतरित करने के बजाए अगर नीलामी प्रक्रिया का पालन होता तो इससे फायदा होता और यह पारदर्शी प्रक्रिया भी होती।
अधिकारी ने कहा, ‘पारदर्शिता अब पहले से कई ज्यादा अहम मुद्दा है। जो सवाल इस समय दिमाग में आ रहा है वो यह है कि क्या पता इससे भी बेहतर कीमत हमें मिल जाती। लेकिन अधिकार बिना पारदर्शी प्रक्रिया के किसी और को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे।’
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अधिकारी की बात का समर्थन करते हुए और अधिकारी ने बताया कि बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल जौहरी बोर्ड के अधिकारियों को इस पूरी स्पॉन्सरशिप ट्रांसफर प्रक्रिया के मामले के बारे में अवगत करना चाहिए था।
अधिकारी ने कहा, ‘सबसे हैरानी वाली बात यह है कि सीईओ को भी नहीं पता कि क्या हो रहा है। इस तरह की अहम बातों पर बीसीसीआई से चर्चा क्यों नहीं की जा रही है। क्या कोई इस गलतफहमी है कि बीसीसीआई उसकी है न कि वह बीसीसीआई में कार्यरत है? यह निश्चित तौर पर आम दिन होने वाली बातें नहीं हैं।’
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प्रशासकों की समिति (सीओए) ने 7 जून को इस मुद्दे पर चर्चा की थी और वह चाहते थे कि कानूनी टीम इस मामले को देखे और उनसे पास आए। अधिकारियों को इस मामले में लाने का कोई जिक्र नहीं था।