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On This day: 22 साल पहले आज के दिन शारजाह के मैदान पर आया था सचिन तेंदुलकर नाम का तूफान

भारतीय दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने 22 अप्रैल 1998 को शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 143 रन की तूफानी पारी खेली थी।

user-circle cricketcountry.com Written by India.com Staff
Last Published on - April 22, 2020 12:09 PM IST

22 अप्रैल, ये तारीख भारतीय क्रिकेट फैंस के दिमाग में हमेशा के लिए अंकित है क्योंकि इसी दिन क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने एक ऐसी पारी खेली थी जिसने इस दिग्गज बल्लेबाज की महानता को दुनिया के सामने रखा।

साल 1998 में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए शारजाह कप के छठें मैच में तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ 109.16 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए 131 गेंदो पर 9 चौकों और 5 छक्कों की मदद से 143 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी।

माइकल बेवन के नाबाद शतक और मार्क वॉ की अर्धशतकीय पारी की मदद से ऑस्ट्रेलिया के बनाए 284/7 रन के स्कोर के जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया की घातक गेंदबाज का शिकार बनी और टीम इंडिया ने 30 ओवर के अंदर चार विकेट खो दिए, जिसमें कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन (Mohammad Azharuddin) के साथ बाएं हाथ के शानदार बल्लेबाज सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) भी शामिल थे।

मात्र 138 रन पर चार विकेट गिरने के बावजूद तेंदुलकर ने हार नहीं मानी। उन्होंने दिग्गद लेग स्पिन शेन वार्न (Shane Warne) के साथ डेमियन फ्लेंमिंग, टॉम मूडी और माइकल कास्प्रोविज़ वाले खतरनाक गेंदबाजी अटैक का सामना करते हुए शानदार शतक जड़ा।

मैदान पर आया तूफान

जब सचिन क्रीज पर थे तो इस बीच मैदान पर तेज रेतीला तूफान आया लेकिन वो भी कंगारू गेंदबाजों की तरह मास्टर ब्लास्टर को रोकने में नाकाम रहा। लेकिन इस तूफान की वजह से भारत को मिला 50 ओवर में 285 रन बनाने का शुरुआती लक्ष्य बदलकर 46 ओवर में 276 रन का कर दिया गया। हालांकि टीम इंडिया को अंकतालिका में न्यूजीलैंड को पीछे छोड़कर फाइनल में जगह पक्की करने के लिए मात्र 254 रन बनाने थे।

43वें ओवर में फ्लेमिंग की गेंद पर सचिन के आउट होने से भारतीय टीम 46 ओवर में मात्र 250 रन ही बना सकी लेकिन नेट रन रेट ज्यादा होने की वजह से टीम इंडिया ने फाइनल में जगह पक्की कर ली। शारजाह के मैदान पर ही खेले गए फाइनल मैच में 6 विकेट से जीत हासिल कर भारत ने ट्रॉफी पर कब्जा किया था।

हालांकि भारत ये मैच 26 रन से हार गया था लेकिन तेंदुलकर की आक्रामक बल्लेबाजी के कारण ही टीम इंडिया फाइनल में जगह पक्की कर पाई थी। उनकी ये पारी जीत-हार से कहीं बड़ी बन गई। भारत की हार के बावजूद सचिन को मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया। और उनकी ये पारी क्रिकेट इतिहास की सबसे संघर्षपूर्ण पारियों में दर्ज की गई।

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मैच के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के हर एक खिलाड़ी ने भारतीय बल्लेबाज की जमकर तारीफ की। तत्कालीन कोच एलेन बॉर्डर (Allan Border) ने कहा, “वो वहां भारत को क्वालिफाई करवाने के लिए नहीं खड़ा था, वो वहां मैच जीतने के लिए खड़ा था। हम सब छोटे सपने देखते हैं लेकिन तेंदुलकर बड़े सपनों को जीता है।”