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टेंट में बिताया जीवन, बेची 'पानी पूरी', लंबे संघर्ष के बाद मिली टीम इंडिया में जगह
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी मध्यकक्रम का अच्छा बल्लेबाज है।
Written by Sandeep Gupta
Last Updated on - July 6, 2018 6:27 PM IST

पुरानी कहावत है ‘हिम्मते मर्दा, मददे खुदा’। ये कहावत श्रीलंका दौरे के लिए इंडिया अंडर-19 टीम में जगह बनाने वाले 17 साल के यशस्वी जायसवाल पर पूरी तरह से सटीक बैठती है। यशस्वी मध्यकक्रम का अच्छा बल्लेबाज है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी काे बचपन से ही क्रिकेट का शौक था, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि परिवार वाले उसे इसके लिए मदद कर पाते।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यशस्वी के चाचा मुंबई के वर्ली में रहते हैं। बेहद कमजोर आर्थिक हालात और जगह की कमी होने के कारण वो भी यशस्वी को अपने घर पर नहीं रख सकते थे। चार्चा मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में मैनेजर हैं। उन्होंने मालिक से अनुरोध कर यशस्वी को क्लब के टेंट में रहने के लिए जगह दिलवा दी।
तीन साल तक यशस्वी टेंट में रहते हुए सड़क किनारे पानी-पूरी बेचता रहा। यहीं आजाद मैदान में उसने बाकी बच्चों के साथ खेलते हुए क्रिकेट सीखा। पिता बीच-बीच में पैसे भेजते, लेकिन वो उसका खर्च पूरा करने के लिए काफी नहीं होते थे। रामलीला के दौरान पानी पूरी बेचकर अच्छी कमाई हो जाती। बाकी समय उसे बिना खाए भी गुजारा करना पड़ता। कई बार मैदान में खेलने वाले दोस्त पानी पूरी बेचता देखते तो यशस्वी को काफी शर्मिंदगी भी होती थी।
उसने अखबार को बताया, ” एक दिन आजाद मैदान में खेलता देख लोकल क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह की उसपर नजर पड़ी। ज्वाला सिंह ने भी काफी संघर्ष कर क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम कमाया था। वो अच्छे गेंदबाज रहे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना सके।”
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ज्वाला सिंह बताते हैं कि एक समय में मैं जाहिर खान के साथ एमआरएफ पेस अकादमी में प्रैक्टिस किया करता था, लेकिन जाहिर जितना नाम नहीं कमा सका। ज्वाला सिंह की देखरेख में ही यशस्वी ने कोचिंग ली। पहले उसका चयन मुंबई के लिए अंडर-17 टीम में हुआ। बड़ी अड़ान के लिए तैयार यशस्वी को अब श्रीलंका दौरे पर जा रही इंडिया अंडर-19 टीम में चुना गया है।