Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - December 14, 2017 11:41 AM IST
अजीत अगरकर के नाम भारत की तरफ से सबसे तेज अर्धशतक जड़ने का रिकॉर्ड है। क्या आपको पता है अगरकर ने आज ही के दिन भारत की तरफ से वनडे इतिहास का सबसे तेज अर्धशतक जड़ा था। अपनी गेंदबाजी से विपक्षी टीम में खलबली पैदा करने वाले अगरकर ने आज ही दिन ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर मात्र 21 गेंदों में ही अर्धशतक जड़ दिया था। जिम्बाब्वे के खिलाफ उस मैच में अगरकर ने ना सिर्फ बल्ले से कमाल दिखाया था बल्कि गेंद से भी कहर ढा दिया था।
कुल मिलाकर उस दिन पूरे मैच में अगरकर ही छाए रहे थे और इतिहास के पन्ने में अपना नाम दर्ज कराया था। तो आइए आपको बताते हैं आखिर क्या हुआ था इस मैच में और अगरकर ने कैसे खेली थी धमाकेदार पारी। भारत बनाम जिम्बाब्वे के बीच पांचवां वनडे मैच खेला जा रहा था। भारत सीरीज पहले ही अपने नाम कर चुका था। पांचवें मैच में भारत की तरफ से कप्तानी राहुल द्रविड़ कर रहे थे, मैच में जिम्बाब्वे ने टॉस जीतकर भारत को बल्लेबाजी का निमंत्रण दिया।
जवाब में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही और भारत का पहला विकेट मात्र 10 पर ही गिर गया। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए राहुल द्रविड़ भी मात्र 6 रन बनाकर आउट हो गए। चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए हेमांग बदानी उतरे सचिन के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाने लगे। इसी बीच भारत का तीसरा विकेट भी गिर गया और सचिन 27 रन बनाकर आउट हो गए। भारत के तीन विकेट सिर्फ 42 रनों पर ही गिर चुके थे और जिम्बाब्वे की टीम हावी हो रही थी। ये भी पढ़ें: वरदा तूफान के कारण दोनों टीमें नहीं कर सकीं अभ्यास
इसके बाद युवराज सिंह ने बदानी के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया ही था कि 29 रन बनाकर युवराज भी आउट हो गए। भारत को लगातार झटके लगते जा रहे थे। छठें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए वीरेंद्र सहवाग ने 24 गेंदों में 19 रन और भारत के स्कोर को 100 के पार पहुंचाया। लेकिन जब लग रहा था कि दोनों बल्लेबाज क्रीज पर टिक रहे हैं उसी दौरान सहवाग 19 रन पर आउट हो गए और भारत की आधी टीम सिर्फ 114 रनों पर ही पवेलियन लौट गई।
हालांकि एक छोर पर बदानी क्रीज पर डटे हुए थे और अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे। बदानी का साथ देने आए रितेंदर सिंह सोढ़ी। सोढ़ी ने आते ही अच्छे शॉट खेले और भारत को संकट से निकालने की कोशिश करने लगे। दोनों ने भारत के स्कोर को 200 के पार पहुंचा दिया। अभी स्कोर 200 के पार ही पहुंचा था कि बेहतरीन खेल रहे बदानी भी 77 रन बनाकर आउट हो गए। भारत के छह विकेट 216 रनों पर गिर गए।
भारत की टीम संकट में थी और जिम्बाब्वे से हार का खतरा मंडराने लगा था। ऐसे में बल्लेबाजी के लिए आए अगरकर। अगरकर उस दिन कुछ और ही सोच कर मैदान पर उतरे थे। अगरकर ने आते ही आक्रामक बल्लेबाजी शुरू कर दी। अगरकर ने सोढ़ी के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया और तेज-तर्रार तरीके से रन बनाने लगे। धीरे-धीरे भारत की स्थिति मजबूत होने लगी। जिम्बाब्वे को पता ही नहीं चल रहा था कि उनसे गलती कहां हो गई। अगरकर ने देखते ही देखते मात्र 21 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। इसी के साथ अगरकर ने भारत की तरफ से सबसे तेज अर्धशतक लगाने वाले बल्लेबाज बनने का गौरव भी प्राप्त कर लिया।
अगरकर ने उस पारी में 25 गेंदों का सामना करते हुए 67 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी। अगरकर की पारी का स्ट्राइक रेट 268 का था। अगरकर ने अपनी पारी में 7 चौके और चार गगनचुंबी छक्के ठोके थे। भारत ने अगरकर की पारी की मदद से 301 रन बना डाले। एक समय मुश्किल में दिख रही टीम इंडिया एक बड़े स्कोर तक पहुंच चुकी थी। और ये सब हुआ था अगरकर की विस्फोटक पारी की बदौलत। ये भी पढ़ें: विराट कोहली दुनिया के सबसे अच्छे बल्लेबाज हैं: माइकल क्लार्क
वहीं अगरकर का कमाल यहीं नहीं रुका। गेंदबाजी में भी अपनी स्विंग गेंदों से उन्होंने जिम्बाब्वे टीम की कमर तोड़ कर रख दी। अगरकर ने मैच में 8.4 की गेंदबाजी में 26 रन देकर 3 विकेट झटके। अगरकर के ऑलराउंड प्रदर्शन के दम पर भारत ने पांचवें मैच में भी जिम्बाब्वे को 39 रन से हराकर सीरीज को 4-1 से अपने नाम कर लिया था।
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