Gunjan Tripathi
गुंजन त्रिपाठी क्रिकेटकंट्री हिंदी की रिपोर्टर हैं
Written by Gunjan Tripathi
Last Published on - January 2, 2017 3:16 PM IST
भारतीय टीम के लिए साल 2016 उपलब्धियों और खिताबों से भरा रहा है। चाहे राष्ट्रीय टीम या फिर अंडर-19 सभी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। भारतीय टीम ने पहले न्यूजीलैंड को और फिर इंग्लैंड को टेस्ट सीरीज में मात दी। वहीं अंडर-19 टीम ने भी श्रीलंका को मात देकर एशिया कप पर कब्जा किया। भारतीय क्रिकेट में इस साल कई प्रतिभावान खिलाड़ियों ने भी अपने प्रदर्शन के सभी को प्रभावित किया। इस सूची में जयंत यादव, करुण नायर, केएल राहुल जैसे कई नाम है जिन्होंने इस साल भारतीय क्रिकेट को कई खूबसूरत पल दिए। लेकिन इन सभी खिताबों और उपलब्धियों पीछे एक ऐसे शख्स का चेहरा है जिसने अपना पूरा जीवन क्रिकेट के नाम कर दिया है। पहले बतौर खिलाड़ी मैदान पर भारतीय टीम को कई यादगार जीत दिलाईं और अब एक कोच और मेंटोर की भूमिका में भी भारतीय टीम के हित में कार्य कर रहा है। यह महान खिलाड़ी और कोई नहीं बल्कि टीम इंडिया की दीवार कहा जाने वाले राहुल द्रविड़ हैं। ये भी पढ़ें: अनुराग ठाकुर को हटाए जाने का फैसला न्यायसंगत: जस्टिस लोढ़ा
द्रविड़ न सिर्फ एक बेहतरीन खिलाड़ी है बल्कि एक उम्दा कोच भी है। साल 1996 में पहली बार भारतीय जर्सी में नज़र आए द्रविड़ ने अपनी अलग बल्लेबाजी शैली से क्रिकेट जगत में अपनी अनोखी पहचान बनाई। अपने 16 साल के करियर में द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया। शांत स्वभाव के द्रविड़ जेन्टलमैन गेम कहे जाने वाले इस खेल को पूरी तरह परिभाषित करते हैं। उन्हें सचिन तेंदुलकर या सौरव गांगुली जैसी प्रसिद्धि कभी नहीं मिल पाई लेकिन यह सच है कि उन्हें जो मिल वह उससे कहीं अधिक के काबिल हैं। जहां कई भारतीय खिलाड़ी संन्यास लेकर आराम कर रहे हैं या फिर दूसरे खेलों में नाम बना रहे हैं वहीं राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट की अगली पीढ़ी को संवारने में लगे हैं। ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को पद से हटाने पर ट्विटर प्रतिक्रिया
भारतीय टीम ने इस साल टेस्ट में नंबर वन बनने को जो मुकाम हासिल किया है उसमें द्रविड़ का बहुत बड़ा हाथ हैं। 2016 में हुई टेस्ट सीरीजों खासकर इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने जो सफलता हासिल की है उसके पीछे द्रविड़ की मेहनत है। इंग्लैंड सीरीज में भारत को जयंत यादव और करुण नायर जैसे दो प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी मिले हैं। एक जहां धमाकेदार बल्लेबाज है वहीं दूसरा भविष्य का मैचविनर ऑलराउंडर। इन दोनों खिलाड़ियों में जो बात समान है वह है द्रविड़ का मार्गदर्शन। जयंत यादव और नायर दोनों ही भारत ए के लिए राहुल द्रविड़ की कोचिंग में खेले हैं और दोनों ने ही यह माना है कि राहुल की मदद से उनके प्रदर्शन में काफी सुधार आया है। चेन्नई टेस्ट में 303 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलने के बाद करुण नायर ने कहा था, “मेरा सोचना है कि भारत ए के दौरों से मुझे काफी मदद मिली क्योंकि रणजी ट्रॉफी और अंतर्राष्ट्रीय मैचों के बीच में काफी समय खाली था जिसे भारत ए के मैचों ने भरने का काम किया। राहुल सर ने हमेशा ही मेरी मदद की है। मैं राजस्थान रॉयल्स टीम में खेलने के समय से ही उनके साथ हूं। उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया है।” वहीं भारत अंडर-19 टीम को भी राहुल द्रविड़ ने एशिया कप तक पहुंचने में मदद की। पिछला अंडर-19 विश्व कप भारत ने वेस्टइंडीज से हारा था। उस टीम में सरफराज खान, रिषभ पंत, ईशान किशन जैसे कई खिलाड़ी थे जो इस समय रणजी टीमों का हिस्सा है। इतने बेहतरीन खिलाड़ियों के होने के बाद भी हारने के कारण पर द्रविड़ ने काफी विचार किया और आखिरकार अपनी सोच और मेहनत से इस बार नतीजे को बदल दिया। ये भी पढ़ें: साल 2016 में भारतीय बल्लेबाजी के पांच सबसे यादगार पल
द्रविड़ इस समय भारत ए और अंडर-19 दोनों टीमों के कोच हैं और वह दोनों जिम्मेदारियां बखूबी निभा रहे हैं। शायद द्रविड़ के अलावा कोई और यह कार्य नहीं कर सकता था। राहुल द्रविड़ जिन्हें मिस्टर डिपेंडेबल कहा जाता है भारतीय टीम की ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतीय क्रिकेट की दीवार हैं। हमेशा लाइम लाइट और सुर्खियों से दूर रहने वाले द्रविड़ धीरे धीरे भारतीय क्रिकेट को ऊंचे मुकाम पर ले जा रहे हैं। जब द्रविड़ भारतीय टीम में खेलते थे तब उनके बारें में कहा जाता था कि एक बार वह क्रीज पर टिक जाते थे तो किसी भी गेंदबाज के लिए उन्हें आउट करना मुश्किल होता था। इसलिए ही तो वह भारत के सबसे बेहतरीन टेस्ट खिलाड़ी माने जाते हैं। हम सब जब बच्चे थे तो मेरे सारे दोस्तों के अपने अपने पसंदीदा खिलाड़ी थे। किसी को शतक बनाने वाला सचिन पसंद था तो किसी को दादा का अंदाज भाता था लेकिन कभी किसी यह नहीं कहा कि राहुल द्रविड़ उनका पसंदीदा क्रिकेटर है। इसका मतलब यह नहीं था कि द्रविड़ किसी को पसंद नहीं बल्कि इस महान खिलाड़ी को समझने के लिए हम बहुत छोटे थे। ये भी पढ़ें: साल 2016 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हासिल की बड़ी उपलब्धियां
द्रविड़ ने जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया था तो उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था कि, “मैंने यह फैसला तब ही लिया है जब मुझे लेना चाहिए था।” वह जानते थे कि अब क्रिकेट की एक नई पीढ़ी को आगे आना है और इसके लिए पीछे हटने से वह कतई नहीं चूके। राहुल अपने शुरूआती दिनों से अब तक एक ऐसे खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते हैं जिसने कभी भी कोशिश करनी नहीं छोड़ी। क्रिकेट के लिए उनका प्यार कभी खत्म नहीं हुआ बल्कि अब कहीं ज्यादा बढ़ गया है। जिस तरह वह भारत के भविष्य के लिए खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है। द्रविड़ भारतीय क्रिकेट का ऐसा हिस्सा हैं जिसके बिना इसकी कल्पना भी असंभव है।
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