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इतिहास के पन्नों से: जब सचिन तेंदुलकर के शतक के बावजूद 300 रन से हार गया भारत

1992 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर खेले पांचवे टेस्ट मैच में सचिन ने बनाए थे शानदार 114 रन।

user-circle cricketcountry.com Written by Gunjan Tripathi
Last Published on - February 3, 2017 2:26 PM IST

18 वर्षीय सचिन ने पर्थ में जड़ा था तीसरा टेस्ट शतक  © Getty Images
18 वर्षीय सचिन ने पर्थ में जड़ा था तीसरा टेस्ट शतक © Getty Images

भारत और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के मैदान पर कड़े प्रतिद्वंदी रहे हैं। मौजूदा समय में टीम इंडिया का पलड़ा भारी जरूर है लेकिन एक समय ऐसा था जब कंगारू टीम को हराना असंभव था। ऐसी ही एक सीरीज भारत ने साल 1992 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेली थी। पांच मैचों की इस टेस्ट सीरीज में भारत 4-0 से बुरी तरह हार गया था लेकिन इस सीरीज से भारत को एक ऐसा खिलाड़ी भी मिला था जो आगे चलकर इसी टीम के खिलाफ भारत को कई यादगार जीत दिलाने वाला था। हम बात कर रहे हैं क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर की। इस सीरीज के पांचवे और आखिरी टेस्ट मैच में जब मेजबान टीम के गेंदबाजों के आगे मोहम्मद अजहरूद्दीन, कृष्णामचारी श्रीकांत और नवजोत सिंह सिद्दू जैसे बल्लेबाज टिक नहीं पा रहे थे तब 18 साल के एक लड़के ने शानदार शतक जड़ दिया इस बात से सभी हैरान थे। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी इयॉन चैपल ने इसे अपनी देखी बेहतरीन पारियों में से एक बताया था। ये भी पढ़ें: महेंद्र सिंह धोनी सभी के लिए प्रेरणादायक कप्तान रहे हैं: अनिल कुंबले

एक फरवरी 1992 को पर्थ के वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एलेन बॉर्डर ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। मेजबान टीम की शुरुआत अच्छी रही। ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज डेविड बून ने बेहतरीन बल्लेबाजी की। भारत पहले दिन केवल चार विकेट ले पाया, जिसमें से दो विकेट कपिल देव के नाम रहे। इसमें कप्तान बॉर्डर का अहम विकेट भी शामिल था। दूसरे दिन बून ने इस टेस्ट सीरीज में अपना तीसरा शतक जड़ा। साथ ही मध्य क्रम के बल्लेबाज इयॉन हेली ने 28 रनों की पारी खेल कर अपने 1,000 टेस्ट रन पूरे किए। टीम इंडिया आखिरकार कंगारू टीम को 346 रनों पर रोकने में सफल रही। अब बल्लेबाजी करने की बारी भारत की थी।

भारत के सलामी बल्लेबाज सिद्दू और श्रीकांत टीम को अच्छी शुरुआत नहीं दिला सके। भारत ने पहला विकेट महज 25 रन पर खो दिया, वहीं दूसरा विकेट भी 69 रन पर गिर गया। दोनों सलामी बल्लेबाजों के पवेलियन लौटने के बाद मैदान पर टिके हुए थे संजय मांजरेकर और सचिन तेंदुलकर। मुंबई के इन दोंनों खिलाड़ियों ने पारी को आगे बढ़ाया लेकिन ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों ने भारत को साझेदारी नहीं बनाने दी। पहले मांजरेकर 31 के स्कोर पर आउट हुए और फिर दिलीप वेंगसरकर भी सस्ते में निपट गए। कप्तान अजहरूद्दीन भी सचिन का साथ ज्यादा देर तक नहीं दे सके। क्रेग मैकडेमॉर्ट ने उन्हें 11 रन पर हेली के हाथों कैच आउट कराया। दूसरे दिन के अंत तक अपनी पहली पारी में भारत ने पांच विकेट के नुकसान पर 135 रन बनाए थे। तीसरे दिन के खेल की शुरुआत के साथ ही क्रिकेट जगत के एक नए भविष्य का भी आगाज हुआ। ये भी पढ़ें: मैं तीसरे स्थान पर खुलकर बल्लेबाजी करता हूं: सुरेश रैना

तेंदुलकर ने 3 फरवरी 1992 को अपने टेस्ट करियर का तीसरा शतक जड़ा। सचिन ने 161 गेदों में 16 छक्कों की मदद से 114 रनों की पारी खेली। हालांकि इस पारी में मास्टर ब्लॉस्टर ने एक भी छक्का नहीं लगाया। सचिन के किरण मोरे के साथ मिलकर नौंवे विकेट के लिए रिकॉर्ड 81 रनों की साझेदारी बनाई। जब सचिन माइक विटनी की गेंद पर आउट हुए तब तक भारत का स्कोर 240 तक पहुंच चुका था। मोरे की 43 रनों की अहम पारी की मदद से भारत ने ऑल आउट होने तक 272 रन बना लिए थे। ऑस्ट्रेलिया अब भी 74 रनों की बढ़त पर था।

दूसरी पारी खेलने उतरी मेजबान टीम ने शुरुआती विकेट खो दिए। सलामी बल्लेबाज मार्क टेलर को पगबाधा आउट करते ही कपिल देव ने टेस्ट क्रिकेट में अपने 400 विकेट पूरे किए। 31 रन के स्कोर पर ऑस्ट्रेलिया के दोनों सलामी बल्लेबाज आउट हो चुके थे। लेकिन इसके बाद टॉम मूडी और डीन जोन्स की शतकीय पारियों की मदद से इंग्लैंड ने 367 रन बना लिए। भारत को जीत के लिए 107 ओवरों में 442 चाहिए थे और सामने थे ऑस्ट्रेलिया के घातक गेंदबाज। ये भी पढ़ें: विराट कोहली ने पत्रकारों को महेंद्र सिंह धोनी के अंदाज में दिया जवाब

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भारतीय टीम की सलामी जोड़ी ने पांचवे दिन 82 रनों की साझेदारी बनाई, जो इस सीरीज में टीम इंडिया की अब तक बनी सबसे बड़ी साझेदारी थी। हालांकि सिद्दू और श्रीकांत पारी को अंजाम तक नहीं ले जा सके और 90 के स्कोर पर भारत ने दो विकेट खो दिए। इसके बाद कप्तान अजहरूद्दीन (24) के अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज 20 से ज्यादा रन नहीं बना सका। वेंकटपति राजू को आउट कर भारतीय पारी को 141 पर समेटते ही मार्क विटनी ने अपने पांच विकेट पूरे किया। भारत सीरीज पहले ही हार चुका था और आखिरी टेस्ट भी टीम इंडिया 300 रन जैसे बड़े अंतर से हार गई। इस मैच और पूरी टेस्ट सीरीज में भारत के लिए अगर कोई बात सकारात्मक रही तो वह है सचिन तेंदुलकर। 18 साल की उम्र में सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज गेंदबाजों के सामने शतकीय पारी खेलकर जता दिया था कि भविष्य में वह विश्व क्रिकेट पर राज करने वाले हैं।