Gunjan Tripathi
गुंजन त्रिपाठी क्रिकेटकंट्री हिंदी की रिपोर्टर हैं
Written by Gunjan Tripathi
Last Published on - February 9, 2017 1:16 PM IST
भारत बनाम बांग्लादेश पहला और एक मात्र टेस्ट आज हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में खेला जा रहा है। मैच से पहले चौथे स्थान के बल्लेबाज को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। टीम इंडिया के सामने अनुभवी अजिंक्य रहाणे और शतकवीर करुन नायर जैसे दो विकल्प थे लेकिन कप्तान विराट कोहली ने साफ कह दिया कि दो साल के अनुभव पर एक मैच भारी नहीं पड़ सकता। आखिरकार रहाणे टीम में वापस आ गए और नायर को बाहर होना पड़ा। नायर ने इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी टेस्ट में चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम पर 300 रन की शानदार पारी खेली थी लेकिन वह दुर्भाग्यशाली रहे जो उन्हें टीम में जगह नहीं मिल पाई। नायर के साथ ही एक और ऐसा खिलाड़ी है जो अच्छे प्रदर्शन के बाद भी अंतिम एकादश से बाहर हो गए। ऑलराउंडर जयंत यादव ने इंग्लैंड के खिलाफ गेंद और बल्ले दोनों से बेहतरीन प्रदर्शन किया था। यादव ने इस सीरीज में अपना पहला टेस्ट शतक भी जड़ा था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि शतक लगाने के बाद किसी खिलाड़ी को टीम से बाहर किया गया हो। यहां हम आपको बताने वाले हैं उन दुर्भाग्यशाली खिलाड़ियों के बारे में जिन्हें 100, 200 और 300 रन बनाने के बाद भी टीम में जगह नहीं दी गई। ये भी पढ़ें: भारत बनाम बांग्लादेश, पहला टेस्ट(लाइव ब्लॉग): पुजारा- विजय के अर्धशतक, भारत 100 के पार
केन बैरिंगटन: इंग्लैंड के दिग्गज बल्लेबाजों में से एक बैरिंगटन को 1965 में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज से ड्रॉप कर दिया गया था। इससे पहले उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 137 रनों की शानदार पारी खेली थी। हालांकि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के इस फैसले को लेकर कई खबरे बाहर आई थी। सुनने में आया था कि बैरिंगटन को टीम ने निकाला नहीं गया था बल्कि उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
ज्योफ्री बायकाट: इंग्लैंड के एक और बल्लेबाज ज्योफ्री बायकॉट को भी इसी फैसले का शिकार होना पड़ा था। बायकॉट इंग्लैंड के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक थे और बैरिंगटन की तरह उन्हें भी बड़ा स्कोर बनाने के बाद टीम से बाहर कर दिया गया। बायकॉट ने भारत के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए अपने टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 246 रन बनाया था। इस पारी के बाद साल 1967 में उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया। ये भी पढ़ें: भारत अंडर-19 टीम के खाने का प्रबंध नहीं कर पा रही है बीसीसीआई
एंडी गेंटेमे: इंग्लैंड के खिलाफ 1948 में पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए अपने पहले मैच में एंडी गेंटेमे ने काफी धीमा शतक जड़ा था। उन्हें मैच के दौरान फ्रेंक वॉरेल द्वारा वेस्टइंडीज मैनेजमेंट ने एक नोट भिजवाया गया। इस कागज में उनकी इस धीमी पारी का मजाक उड़ाया गया था जो उन्हें बुरा लगा। इसके बाद गेंटमे ने कोई अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं खेला।
रूडनी रेडमंड: न्यूजीलैंड के बल्लेबाज रूडनी रेडमंड को भी शतक बनाने के बाद टीम से बाहर होना पड़ा था लेकिन इस फैसले के पीछे और भी कई कारण थे। गेंटमे की तरह वह भी वेस्टइंडीज बोर्ड में फैली राजनीति का शिकार बने। 1973 में पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट में उन्होंने पहली पारी में 107 और दूसरी पारी में 56 रन बनाए थे। रेडमंड के टीम से बाहर होने का दूसरा कारण थे जॉन पार्कर जो चोट से उबर कर टीम में लौट आए थे और इस वजह से रेडमंड को अपनी जगह छोड़नी पड़ी। ये भी पढ़ें: मौके का पूरा फायदा उठाना चाहूंगा: अभिनव मुकुंद
अरविंदा डि सिल्वा: श्रीलंका के प्रतिभाशाली बल्लेबाज और विश्व कप विजेता अरविंदा डि सिल्वा को 2002 में टीम से अचानक ड्रॉप करने का फैसला फैंस और क्रिकेट समीक्षकों के गले नहीं उतरा। डि सिल्वा ने बांग्लादेश के खिलाफ शानदार दोहरा शतक जड़ा था और टीम ने 506 रनों से जीत दर्ज की थी। उन्हें अगले टेस्ट के लिए आराम दिया गया जिसके बाद उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला कर लिया।
जेसन गिलिप्सी: लंबे समय के बाद ऑस्ट्रेलियन टीम मे वापसी करते ही जेसन गिलिप्सी ने बांग्लादेश के खिलाफ 201 रनों की पारी खेली। हालांकि ऑस्ट्रेलियन टीम के चयनकर्ताओं से उनकी खास बनती नहीं थी और वह यह बात जानते थे। उन्होंने कई बार सार्वजनिक तौर पर भी यह जाहिर किया था कि उनका भविष्य अनिश्चित है। गिलिप्सी को मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का खिताब मिला था जिसके बाद वह कभी टेस्ट टीम में नज़र नहीं आए। ये भी पढ़ें: टी20 मैच में दिल्ली के मोहित अहलावत ने बनाए 300 रन
केविन पीटरसन: इंग्लैंड के सबसे प्रतिभाशाली और विवादित खिलाड़ी केविन पीटरसन का नाम भी इस सूची में शामिल है। पीटरसन को 2012 में बिना किसी पूर्व सूचना के टीम से बाहर कर दिया गया था। साउथ अफ्रीका के खिलाफ 149 रनों की धमाकेदार पारी खेलने के बाद कप्तान एंड्रयू स्ट्रास और कोच एंडी फ्लॉवर की ड्रेसिंग रूम राजनीति के कारण पीटरसन लॉर्ड्स टेस्ट से बाहर हो गए। कहा जा रहा था कि उन्हें ड्रेसिंग रूम में साथी खिलाड़ियों को बुरा-भला कहने की वजह से टीम से बाहर किया गया।
मार्टिन लव: ऑस्ट्रेलियन टीम में हमेशा ही अंतिम एकादश में जगह बनाने के लिए खिलाड़ियों के बीच होड़ मची रहती है। साल 2000 में यह प्रतिद्वंदिता अपने चरम पर थी। इसी वर्ष मार्टन लव के करियर में भी कई उतार चढ़ाव आए। लव ने अपने पहले मैच में अर्धशतक जड़ा था लेकिन इसके बाद कई मैचों में उनका प्रदर्शन खराब रहा। स्कोर बनाने के दबाव में चल रहे लव ने अपने पांचवे टेस्ट में बांग्लादेश के खिलाफ नाबाद शतक लगाया। यह मैच उनके करियर का आखिरी मैच साबित हुआ क्योंकि डैमिनी मार्टिन फिट होकर टीम में वापस आ गए थे। ये भी पढ़ें: इंग्लैंड के खिलाफ मिली सफलता को जारी रखेगी टीम इंडिया: अनिल कुंबले
करुन नायर: भारतीय टीम के युवा और प्रतिभाशाली बल्लेबाज करुन नायर ने हाल ही में वह कारनामा किया जो टेस्ट क्रिकेट में कुछ दिग्गज खिलाड़ी ही कर पाए हैं। बावजूद इसके उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट मैच में जगह नहीं दी गई। नायर ने हालांकि टेस्ट में शुरुआत धीमी की थी लेकिन चेन्नई टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने तिहरा शतक जड़कर इतिहास रच दिया। चेपॉक स्टेडियम पर इंग्लिश गेंदबाजों द्वारा कुछ जीवनदान मिलने के बाद नायर ने अपने चयन को सार्थक साबित किया और नाबाद 303 रनों की पारी खेली। हालांकि वह वीरेंद्र सहवाग के अधिकतम टेस्ट स्कोर(319) को तोड़ने से चूक गए। इसके बाद नायर को बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट टीम में जगह तो दी गई लेकिन अंतिम एकादश का हिस्सा बनने का मौका उन्हें नहीं मिला। इसका सबसे बड़ा कारण है मध्य क्रम के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे। कप्तान विराट कोहली ने इस फैसले को यह कहकर सही बताया कि एक पारी से दो सालों के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इसी के साथ नायर ने एक और रिकॉर्ड बना दिया। दरअसल नायर तिहरा शतक बनाने के बाद टीम से बाहर होने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए। उनसे पहले 1930 में एंडी साधम के साथ ऐसा वाकया हुआ था। किंग्सटन टेस्ट (टाइमलेस टेस्ट) में वेस्टइंडीज के खिलाफ 325 रन बनाने के बाद भी उन्हें अगले टेस्ट मैच के लिए टीम में जगह नहीं दी गई। ये भी पढ़ें: एक मैच से दो सालों के प्रदर्शन को अनदेखा नहीं किया जा सकता: विराट कोहली
जयंत यादव: इस सूची में आखिरी नाम है भारत के नए ऑलराउंडर स्पिन गेंदबाज जयंत यादव का। यादव को बतौर ऑफ स्पिन गेंदबाज टीम में शामिल किया गया था लेकिन उनकी सधी हुई बल्लेबाजी टीम के लिए बोनस साबित हुई। यादव ने मुंबई ने इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए चौथे टेस्ट में कप्तान कोहली का साथ देते हुए 104 रनों की पारी खेली। यह यादव के करियर का पहला टेस्ट शतक था। इसके बाद पांचवे टेस्ट में हैमस्ट्रिंग की वजह से वह चेन्नई टेस्ट नहीं खेल पाए। हालांकि उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट के लिए टीम में जगह दी गई है लेकिन उन्हें अंतिम एकादश का हिस्सा नहीं बनाया गया। पिच के हिसाब के टीम ने तीन तेज गेंदबाजों के साथ खेलने का फैसला किया जिस वजह से यादव को बाहर होना पड़ा।
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