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आज के दिन महेंद्र सिंह धोनी ने खेला था अपना पहला टेस्ट मैच

श्रीलंका के भारत दौरे पर खेले गए पहले टेस्ट मैच में धोनी ने किया था अपना टेस्ट डेब्यू।

user-circle cricketcountry.com Written by Gunjan Tripathi
Published: Dec 02, 2017, 04:35 PM (IST)
Edited: Dec 02, 2017, 04:32 PM (IST)

महेंद्र सिंह धोनी ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिआ था। © Getty Images
महेंद्र सिंह धोनी ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिआ था। © Getty Images

भारतीय टीम इस समय विराट कोहली की कप्तानी में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। भारत न्यूजीलैंडइंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतकर आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंचा। लेकिन इस विश्व की नंबर एक टीम की नींव रखी थी पूर्व टेस्ट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने। आज ही के दिन साल 2005 में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेला था। श्रीलंका के भारत दौरे के पहले टेस्ट मैच में धोनी ने पहली बार भारत के लिए सफेद जर्सी पहनी थी। चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेले गया यह मैच हालांकि बारिश के कारण ड्रॉ हो गया था। ये भी पढ़ें: महिला एशिया कप टी20 2016: भारत ने नेपाल को 99 रनों से हराया

भारतीय टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग के मैदान पर उतरते ही स्टेडियम में शोर बढ़ गया जो कि जल्द ही खामोशी में बदल गया क्योंकि तीसरे ही ओवर में गंभीर चमिंडा वास का शिकार बनें और शून्य के स्कोर पर पवेलियन लौट गए। जिसके बाद कप्तान द्रविड़ और सहवाग ने मिलकर पारी को संभाला। वहीं चमिंडा वास ने भारत को एक और झटका दिया और नौंवे ओवर की आखिरी गेंद पर 36 के स्कोर पर खेल रहे सहवाग को कप्तान मार्वन अट्टापट्टू के हाथों कैच कराया। दर्शकों को सहवाग के विकेट पर ज्यादा दुखी होने का मौका नहीं मिला क्योंकि मैदान पर आए क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर। सचिन और द्रविड़ ने एक बढ़िया साझेदारी बनाई और स्कोर को 97 रन तक ले गए। तभी चमिंडा वास ने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए द्रविड़ को विकेटकीपर कुमार संगाकारा के हाथों कैच कराया। जिसके बाद वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली दोनों 5 रन के स्कोर पर आउट हो गए, भारत लगातार विकेट खो रहा था और तब मैदान पर उतरे महेंद्र सिंह धोनी। धोनी ने क्रीज पर आते ही आक्रामक पारी खेलनी शुरू की, दूसरे छोर पर लगातार विकेट गिरते गए लेकिन धोनी टिके रहे और 30 रन बनाकर 74वें ओवर में भारत के आखिरी विकेट के रूप में आउट हुए।

भारत ने पहली पारी में दस विकेट खोकर 167 रन बनाए थे। वहीं श्रीलंका टीम ने अपनी पहली पारी में चार विकेट खोकर 168 रन बनाए और एक रन की बढ़त हासिल कर ली लेकिन बारिश की वजह से यह मैच ड्रॉ करना पड़ा। भारत की तरफ से अनिल कुंबले ने तीन विकेट चटकाए और इस तरह धोनी ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला। हालांकि वह कोई बड़ा स्कोर नहीं बना सके लेकिन जिसने भी उनकी बल्लेबाजी देखी वह दंग रह गया। धोनी का हर शॉट और तकनीक क्रिकेट की किताब से एकदम बाहर थी, यही बात उनकी विकेटकीपिंग पर भी लागू होती है।

धोनी ने अपना पहला टेस्ट अर्धशतक भी 13 दिसंबर को इसी सीरीज के दूसरे मैच में बनाया। दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में खेले गए टेस्ट की दूसरी पारी में धोनी ने 83 गेंदों पर शानदार 51 रन बनाए और नाबाद पवेलियन लौटे। भारत ने यह मैच 188 रनों से जीत लिया था साथ ही तीन मैचों की यह सीरीज भी 2-0 से भारत के नाम रही थी। इस सीरीज में कई और अलग चीजें हुई थी जैसे दूसरे टेस्ट मैच में सहवाग नहीं खेले थे इसलिए पहली पारी में द्रविड़ ने उनकी जगह ली थी वहीं दूसरी पारी में इरफान पठान ने सलामी बल्लेबाजी की थी। वहीं तीसरा मैच द्रविड़ ने नहीं खेला था और सहवाग उनकी जगह कप्तान थे। ये भी पढ़ें: पीसाबी के अध्यक्ष शहरयार खान भारत के साथ द्विपक्षीय सीरीज के मुद्दे को एसीसी की बैठक में उठाएंगे

धोनी ने बतौर टेस्ट कप्तान भारत को कई जीत दिलाई और टेस्ट में नंबर वन भी बनाया लेकिन 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने अचानक टेस्ट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। 26 दिसंबर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट में धोनी ने आखिरी बार टेस्ट की सफेद जर्सी पहनी थी। इस दौरे पर भारत ने पहले दोनों मैच हारे थे जिसके बाद से ही धोनी की कप्तानी पर सवाल उठने लगे थे जिसका धोनी ने जवाब भी दे दिया। धोनी ने दौरे के बीच में ही संन्यास का ऐलान कर सबको चौंका दिया। ऐसा नहीं था कि धोनी टेस्ट में द्रविड़ या सहवाग जैसा खेलते थे पर वो अलग थे। उन्होंने कई यादगार पारियां खेली थी जिनमे से सबसे ज्यादा खास था ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका दोहरा शतक।

यह संयोग ही है कि कि चेपॉक स्टेडियम में ही धोनी ने अपना पहला टेस्ट खेला था और यहीं उन्होंने अपने करियर की सबसे बेहतरीन टेस्ट पारी भी खेली थी। 2013 में ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में धोनी ने 365 गेंदो पर 84.52 के स्ट्राइक रेट से 224 रन बनाए थे जिसकी बदौलत भारत का कुल स्कोर 572 हो गया था। उस मैच में सचिन(72 रन) के अलावा किसी खिलाड़ी ने रन नहीं बनाए थे तब धोनी ने एक कप्तानी पारी खेलते हुए टीम को जिताया था। भारत ने इस सीरीज में कंगारू टीम को 4-0 से क्लीन स्वीप किया था। ये भी पढ़ें: जब महेंद्र सिंह धोनी ने सचिन तेंदुलकर के साथ मिलकर उड़ाई शाहिद अफरीदी की गिल्लियां

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महेंद्र सिंह धोनी का नाम भले ही टेस्ट क्रिकेट के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में नहीं गिना जाता है लेकिन धोनी को नज़रअंदाज भी नहीं किया जा सकता। धोनी ने साल 2009 में श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत को 2-0 से जीत दिलाई थी और पहली बार भारतीय टीम टेस्ट रैंकिग में शीर्ष स्थान पर पहुंची थी। इस सीरीज में धोनी का प्रदर्शन भी काबिले तारीफ था। उन्होंने तीसरे और आखिरी मैच में नाबाद शतक लगाया था और सहवाग के 293 रनों की मदद से भारत ने 726 रन का टेस्ट में अपना अधिकतम स्कोर बनाया।